459 बिन सतगुरु के भजन बिना तेरी मुक्ति ना होती। गर्भवास में कॉल करा था, भजन करूंगा तेरा। बाहर आ के भूल गया, लगा मोह माया का घेरा। क्या कर रहा सै मेरा मेरा, झूठे नाती गोती।। चढी जवानी हुआ दीवाना, फूला नहीं समाया। आगे की कुछ सुध बुध नाही, तिरिया में भरमाया। तेरे इतना नशा चढ़ा, ना किसी की बात सुहाती।। नशे विषयों में पड़ के, ना भूली बात विचारी। रात दिनो तूं रहा भरमता, दुविधा लागी भारी।। उस दिन की तने याद बिसारी, यम तोड़ेंगे छाती।। मात पिता की सेवा करनी, यह भी नहीं तूने ख्याल करा। पचपच मरा बैल की तरिया, फिर भी ना तेरा पेट भरा। धरा धराया रह जा तेरा, ना माया संग में जाती।। कोडी कोडी माया जोड़ी, जोड़ भरा एक थैला। पाप कपट से धन कमाया, संग ना चले एक धेला। दो दिन का तेरा दर्शन मेला, अंत बुझेगी ज्योति।। सत्संग सुना ना गुरु धारा, उम्र खो दई सारी। कॉल कसाई घात लगा रहा, तेरे तन की करे खवारी। सतगुरु बिना ना कटे बीमारी, दुनिया झूठे झगड़े झोती।। सतगुरु ताराचंद मेरे की, सुनले अमृतवाणी। दास मदन है छोटा सेवक, रहता गांव भिवानी। गाने