*982 ऐसा ऐसा लगन लिखाया गुरु ने।।444।।

                               444
ऐसा ऐसा लग्न लिखाया गुरु जी ने, ऐसा ऐसा।
जन्म-२ से कुँवारी म्हारी सुरतां, इबकै ब्याह रचाया है।।

हरि नाम की हल्दी लगाई, नेक चित्त में समाया है।
दयाधर्म की मेंहन्दी लगाई, लाल लाल रंग आया है।।

आला सिला बांस कटाया, मोती मण्डप छाया है।
पाँचपच्चिस मिलबैठीसहेलियां,  मिलकर मंगल गाया है।।

धूम धड़ाके से चले बराती, बाजा बैंड बजाया है।
आगे आगे ढोल बजत है, बारातियों को नचाया है।।

सूरत निरत गई फेरां में, कन्यादान कराया है। 
सद्गुरु शरण धर्मिदास बोला, अपना प्रण निभाया है।।

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