*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35
गुरु बिन कौन सहाई जग में गुरु बिन कौन सहाई।।
मात-पिता सुत बांधव नारी स्वार्थ के सब भाई रे।
परमार्थ का बंद जगत में सतगुरु बंद छुड़ाई रे।।
भवसागर जल दुस्तर भारी ग्रह बसें दुखदाई रे।
गुरु खेवरिय पार लगावे ज्ञान जहाज बठाइ रे।।
जनम जनम का मेट अंधेरा, संशय शक्ल नशाई रे।
पारब्रह्म परमेश्वर पूर्ण घट, में दे दरसाई रे।।
गुरु के वचन धार ह्रदय में भाव भक्ति लाई रे।
ब्रह्मानंद करो नित्य सेवा, मोक्ष पदार्थ पाइ रे।।
Comments
Post a Comment