*975 दीया तो चासों भाई गुरु की लगन का।। राधा स्वामी।। 441।।

दीया तो चासो भाई गुरु की लगन का।।
काट दसोठा आई सुरता प्यारी, गुरु दर्शन की प्यास करारी।
                    दुखड़ा ना देखा जाए इस विरिहन का।
मोह माया की सारी लंका जारो लोकमान के असुर संहारो।।
                राज रहे ना फिर राजा दशानन का।।
सुमरन की बांटो दिए की बाती चस्ती रहे ना बुझे दिन राती।
                 तेल परोसो इस भक्ति दुल्हन का।।
तीन यूगों से आए मनती दिवाली,
           मन नजर की डोरी फिर भी है काली।
                     रोग ना फेरो इस नाम भजन का।
संत मते की है न्यारी दिवाली,
          जिसने भी सच की लो है बाली।
                    मिला दूर ठिकाना राधा स्वामी भवन का।।
संत कंवर सिंह हैं संत युगादी,
        सकल रामायण घट में दिखा दी।
                 मिटा2 है तिमिर हरीके सखी मन का।।

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