*999 ना ध्यान हरि में लाया।।450।।
450
ना ध्यान हरि में लाया रे, इंसान बाबले।
तनै वृथा ए जन्म गंवाया रे, इंसान बावले।।
तूँ माया में फँसके, खड़ा पाप में धंस के।
क्यूँ कोली भर रहा कस के, सब रहजा धरा धराया रे।।
तनै नीत बदी में डारी, खो दई जिंदगी सारी।
प्यारे पुत्र नारी, सब लूट-२ धन खाया रे।।
तूँ धन दौलत का प्यासा, तेरी पूरी न होगी आशा।
तेरा होगा नरक में बासा, ना प्रेम पृभु का पाया।।
बचपन से आई जवानी, तनै खूब करी मनमानी।
कह राम कुमार ये ज्ञानी, ना ज्ञान गुरू का पाया।।
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