*1010 प्रेम बिना ना सतगुरु मिलता चाहे कर ले लाख उपाय।।454।।

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प्रेम बिना ना सतगुरु मिलता चाहे कर ले लाख उपाय।।

प्रेम गली अति सांकरी इसमें दो ना समाए।
एकला घूमे उन गलियों में भारी खुशी मनाई।।

प्रेम एक से लागता जी उसका यही शुभाय।
दो घोड़ों के चढ़ के चाले कोन्या पार बसाए।।

एक चीज पर टिकाले, दुजी से हट जाए।
संसारी से प्रेम तोड़ ले फिर प्रीतम मिल जाए।।

एक रास्ते से चले जावे, आगे दो हो जावे।
दोनों रस्ते चल नहीं सकता चाहे भाग भाग मर जाए।।

 प्रेम करो गुरु राम सिंह से जन्म मरण मिट जाए।
ताराचंद हुआ प्रेम दीवाना रहा राधा स्वामी गाय।।

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