*959 राधास्वामी राधास्वामी बोल रे मना क्यों फिरता डामाडोल रे मना।।437।।

                          959
राधास्वामी राधास्वामी बोल रे मना।
                              क्यों फिरता डामाडोल रे मना।।
तेरे अंदर एक अलमारी है उसमें बैठी सुरता प्यारी है।
              अलमारी का ताला खोल रे मना।।
तेरे अंदर सत्य की तखड़ी है तेरी बांह गुरु ने पकड़ी है।
            तूं सत्य का सौदा तोल रे मना।।
तेरे अंदर शीशा जडिया है, तूं पांच ठगों ने ठगीया है।
            तूं उन से नाता तोड़ रे मना।।
तेरे अंदर माल खजाना है क्यों फिरता देश दीवाना है।
             तू उसकी खोजा खोज रे मना।।
तेरे अंदर दसवां द्वारा है उड़े बैठा सतगुरु प्यारा है।
              तू उससे नाता जोड़ रे मना।।
चना बीज बुलावे से गुरु गोविंद सिंह समझावे से।
        तू उनके चरणों में लाग रे मना।।

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