*1032 भक्तवत्सल भक्तन सुखदाई।।464।।

भक्तवत्सल भक्तन सुखदाई अटल नाम मेरे हिए धरो।
जन्म मरण और गर्भ बसेरा यह दुख मेरा दूर करो।।

लख चौरासी गहरी फांसी या में कई एक बार फिरो।
भव जल बेड़ा पार उतारो, पल-पल अवसर जाए टरो।।

अहो मुरारी शरण तुम्हारी, दरिया भारी देख डरो।
पतित उदाहरण वृद्धि तुम्हारो, दीन जानकर विपत्ति हरो।।

स्वामी गुमानी नूर निशानी, भाव भक्ति भंडार भरो।
चरण कमल में रख लीजिए नित्यानंद दरबार पढ़ो।।

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