*1039 शब्द तेरी सार कोई कोई जाने।।466।।

शब्द तेरी सार, कोई कोई जाने।।
दिए पे पतंगा जला दिया अंगा, 
                           या जलने की सार कोई कोई जाने।
फूल ऊपर भंवरा कली रस ले रहा।
                          या फूलों की महकार।।
चांद चकोरा, वह बोले दादर मोरा।
                         या शब्द की झंकार।।
कहे कबीरा मन करता क्यों ना धीरा।
                         यो गुरु का उपकार।। 

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