*976 लगन लगी थारे नाम की।।442।।

                               442
लगन लगी थारे नाम की।
             कब से देखू बात गुरु जी मैं थारे आन की।।
थारी दया से जाता मेरा भी उद्धार हुआ।
टीकर्मों की थी मारी में तो मेरा भी सुधार हुआ।
ज्ञान ध्यान और प्रेम सिखाया मेरा बेड़ा पार हुआ।
                    मैं मुरली थारे धाम की।।
अच्छा खाना वाना मैंने चाहिए ना ससुराल का।
कोठी बंगले महल ना चाहिए किसी पहरेदार का।
मेरा मन है प्यासा सतगुरु तेरे दीदार का।
               हो मैं शोभा थारे धाम की।।

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