*1031 भक्ति करू निज तत्व की। 464।।
भक्ति करो निज तत्व की, नाथ मेरी जानत हो घट घट की।।
न्हावे धोवे मीरा करें सुमरनी, पूजा करें नितनेम की।
दी परिक्रमा मीरा शीश नवावे, तिलक चढ़ा रही छींट की।।
रंग महल में मीराबाई नाचे, ताल लगा रही चुटकी।।
रुन झुन रुन झुन पायल बाजे, लाज रखो घूंघट की।।
जहर प्याला राणा जी ने भेजा, साध संगत करें हठ की।।
कर चरणामृत मीराबाई पी गई, प्रेम हरि रस घुटकी।।
सूरत निरत अंतर लो लागी, सिर धर गागर मटकी।।
बाई के स्वामी सुख के सागर, उल्टी कला जैसे नटकी।।
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