*1036. अगर है मोक्ष की वांछा छोड़ दुनिया की यारी को।।465l।लिखना।।
अगर है मोक्ष की इच्छा छोड़ दुनिया की यारी को।।
कोई तेरा ना तू किसी का सब मतलब के हैं साथी।
फंसा क्यों जाल माया के काल सिर पर सवारी है।।
बेड संगत में संतों की रूप अपने को पहचानो।
तजो मद लोभ अहंकारा, करो भक्ति प्यारी है।।
बसों एकांत में जाकर, धरो निज ध्यान ईश्वर का।
रोको मन की चपलताई देख घट में उजारी है।।
जला कर कर्म की ढेरी तोड़ माया के बंधन को।
ब्रह्मानंद में मिलो आकर सदा जो निर्विकारी है।।
Comments
Post a Comment