*992. उजाला है उजाला है घट भीतर पंथ निराला है।।447

उजियाला है उजियाला है घट भीतर पंथ निराला है।।
त्रिकुटी महल में ठाकुरद्वारा जिसके अंदर चमके तारा।
चहू दिस परम तेज विस्तारा सुंदर रुप विशाला है।।
    सात खंड का बना मोकामा, है मार्ग दुष्कर जाना।
     गुरु कृपा से चढ़े सुजाना पीवे अमृत प्याला है।।
सूरत हंसिनी उड़ी आकाश देख अचरज सकल तमाशा।
नो भुवन हुवा प्रकाशा खुल गया निर्मल ताला है।।
    कर्मन का बंधन सब टूटा मोह माया कागज टूटा।
    ब्रह्मानंद सकल भय झूठा सब भव लजाना है।।

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