*962 रे मनवा अब तो समझ मेरे भाई 41।।

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रे मनवा अब तो समझ मेरे भाई तेरो अवसर बीतो जाई।।

लाख करोड़ी माया जोड़ी करकर कपट कमाई।
ऊंचे ऊंचे महल बनाए सोया सेज बिछाई।।

सुंदर सुंदर वस्त्र पहनने भूषण देह सजाई।
नए-नए नीतू भोजन खाए सडरस स्वाद बनाइ।।

जोवन भरिया सुंदर नारी भोगी कंठ लगाई।
गजरथ बाजी करी सवारी सैल किए मन भाई।

बालपणा जोबन पुनः बीतो वृद्ध अवस्था आई।
ब्रह्मानंद छोड़कर तृष्णा शांति पकड़ मन माही।।

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