*1004 बंदे कद ध्यान लगावेगा।।452।।

                            452
बंदे कद ध्यान लगावेगा।
छोड़ कर संसार पगले एक दिन जावेगा।।
मोह माया ने त्याग जाग भाई कर भक्ति में सीर।
मात-पिता मतलब के साथी मतलब की सै बीर।
                    धीर तेरी कौन बंधावेगा।
भाई बंधु कुटुम कबीला प्यारे तूने पूत।
हरी के घर तैं आवे बुलावा, वे आवे यम के दूत।
                         तने फिर कौन छुड़ावेगा।।
बिन सोचे बिन समझे बंदे गले में घले जंजीर।
आवे बुढापा ना रहे जवानी, यो डगमग होजा शरीर।
                          फेर पाछे पछतावेगा।।
गुरु रामकरण की बात मान ले हो जा मन का चाहा।
सूरजभान कह ज्ञान ध्यान बिना कैसे जीवन पाया।
                         गुण कद हरी के गावेगा।।

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