*1018 गुरु के बिना बन्दे तेरी कैसे होगी मुक्ति।। 459।।
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गुरु के बिना बन्दे, तेरी कैसे होगी मुक्ति।।बचपन सारा खेल गंवाया,
पढ़े कोन्या वेद, लिखी ना तनै तख्ती।।
आई जवानी नींद भर सोया,
खेले फुटबॉल बजाई तनै चुटकी।।
आया बुढापा देख के रोया,
खड़ा-२काँपै कमाई सारी लुटगी।।
यम के दूत लेन नै आए,
खड़ा-२काँपै नगरिया तेरी छुटगी।।
धर्मराज जब लेखा मांगै,
धर्म का पलड़ा भारी, पापों की डांडी झुकगी।।
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