*1021 जिंदा राम कहो या सद्गुरु।।460

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जिंदा राम खो या सद्गुरु, नाम से मुक्ति पाएगा।
इस नाम से लाखों जीव तरे, ना फिर चौरासी आएगा।।

ये मानष तन मुश्किल पाया, मोह ममता में भूल गंवाया।
जब धर्मराज ये पूछेगा, फिर उसको क्या बतलाएगा।।

झूठ कपट कर फिरता है मस्ता, ये तो है पापों का रस्ता।
इस रस्ते में कांटे भारी, तूँ मुश्किल पार हो पाएगा।।

विषय भाव अहंकार मिटाके, बैठ शरण सद्गुरु की जाके।
इस गंगा में न्हाले तूँ, तेरा जन्म सफल हो जाएगा।। 

छोड़ जगत की प्रीतरीत को, भूल गया गुरू नाम रीत को।
कह रामदेव समझ अभी, ना भँवजल गोते खाएगा।।


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