*1002 ध्यान का वादा करके सजन तूने ध्यान लगाना छोड़ दिया।।451।।

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ध्यान का वादा करके सजन, तूने ध्यान लगाना छोड़ दिया।।
शीश तले पग ऊपर थे तब मां के पेट में लेट रहा।
तब ईश्वर से इकरार किया तूने भूलकर वह सब छोड़ दिया।।
देख लुभाया जग की माया, यह सब सुंदर साज बना।
उसी सर्जन हार की सार नहीं, तने भोगों में मन बोड लिया।
घर बार में फंसा रहा दिन रात न मौत की याद रही।
उमरा सब बीती जा रही तूने प्रभु से मुंह क्यों मोड़ लिया।।
बाहर ही बाहर था जब भीतर जीवन की सब भूलों में।
ब्रह्मानंद भजन भगवान नहीं भवसागर में सिर फोड़ लिया।।

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