*1020 करो ओम नाम का सुमिरन मुक्ति मिल जावे।।460।।

करो ओम नाम का सुमिरन, मुक्ति मिल जावे।
यह सूरत हरी से जोड़ो, दुनिया से नाता तोड़ो।
                          काम ना कोई आवे।।
यह काल जाल है दुनिया, मुर्दे की खाल है दुनिया।
                         हाथ ना कोई लावे।।
यहां सब मतलब के साथी, शमशान तक हैं बाराती।
                           फूक तनै बतलावे।।
कह दास बिजेंदर सुन ले, कोई पूरा सतगुरु चून ले।
                        फिर समय हाथ नहीं आवे।।

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