*1012 प्रीति गुरु संग ना जोड़ी मन कहां लगा ली यारी।455।।
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प्रीति गुरा संग ना जोड़ी मन कहां लगा ली यारी।।पकड़ खाट के नीचे तारे बंद हुई तेरी नाड़ी।
हार सिंगार तेरे सारे तारें, गढ़ छोड़ लंगोटी पाड़ी।।
एक और तेरी तिरिया रोवे एक और महतारी।
एक और तेरी बहना रोवे भाई कहे छोड़ी भुजा हमारी।।
ड्योढी लग तेरी त्रिया जावे पोली लग महतारी।
चाची ताई बुआ भांजी पोली तक की यारी।।
साल दुसाले उड़ा चादरा डोली जाए सिंगारी।
चार जने तने ले के चाले छोड़ो दुनियादारी।।
कुटुंब कबीला गोती नाती यारें प्यारे जाएंगे साथी।
मरघट तक तेरे बनेंगे साक्षी फिर मुखड़ा फेरे सारे।।
गौशा पुला ले हाथ में संग में ले जल की झारी।
टेक चिता में फिरे चोगिर्दे, ला देंगे चिंगारी।।
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