*997 तूं ढूंढते किसे फिरे, तेरे घट में सर्जनहार।। 449।।
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तेरे घट में सर्जन हार तू खोजत किसे फिरे।।जैसे कस्तूरी बसे मृगा में ढूंढत बन में फिरे।
पाछे लगा कॉल पारधी, वो छिन में प्राण हरे।।
इंगला पिंगला सुखमना नाडी इनमें ध्यान धरे।
सहंसर में है भंवर गुफा भाई भंवरा गूंज करें।।
दिल दरिया में हीरे लाल हैं गुरुमुख परख करें।
मरजी वाकी वो सैन पहचाने, वो हीरा हाथ पड़े।।
कह रविदास सुनो भाई संतो यह पद है निर्वाण।।
इस पद की जो करे खोजना, सोई संत सुजान।।
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