*971 लागी लागी कहे जग सारा।।440।।

                                 440
लागी कहे जग सारा, लागी के घर तो दूर है।

जिसके लागी भीतरले में, जाने जानन हारा।
रोम रोम में घाव हो गए, घाव नजर नहीं आ रहा।।

प्रहलाद भगत के ऐसी लागी सुन कुंहरे की वाणी।
आवे मैं से बच्चे निकले अग्नि हो गया पानी।।

मीरा बाई के ऐसी लागी, छोडा महल चौबारा।
जहर का प्याला अमृत बन गया नाग गले का हारा।।

धन्ना भगत के ऐसी लागी, बीज बांट दिया सारा।
कंकर बोई अन्न निपजा रे, हो गई जय जय कारा।।

ताराचंद को ऐसी लागी भक्तों का करा निस्तारा।
रूपचंद को भी अवसर मिल गए मिल गए बारंबारा।।

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