*1025 भक्ति भजन फिर करना पहले मन से मेल निकाल।।461।।
भक्ति भजन फिर करना पहले मन से मेल निकाल।
ऐसी भक्ति करने से तू होगा नहीं निहाल।।
मंदिर मंदिर घूमले बंदे घूमले चारों धाम।
बार बार तू ले ले चाहे कितना ही राम का नाम।
कुछ हासिल ना होगा तुझको करले तीरथ तमाम।
जब तक तुझ पर पड़ा रहेगा मोह माया का जाल।।
झूठ नहीं तूने छोड़ा किस लिए तू करता है पाप।
औरों को क्यों बुरा बताएं बुरा तो खुद हैं आप।
मन की मैल तने ना धोई, तन को रखा साफ।
किसी काम न आएगी तेरी यह सुंदर खाल।।
अपने मन से त्याग दे बंदे, ईर्ष्या और तू बैर।
अपने साथ दूसरों की भी मांग प्रभु से खैर।
नेक काम में कभी ना करना बंदे तू अबेर।
अच्छे कर्म करेगा बंदे, होगा तूं मालामाल।।
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