*1030 दुनिया कहन लगी मैने जोगी।।463।।

तेरी याद सतावै मने पल पल रुलावै, 
            तेरी भक्ति का होज्ञा मैं रोगी।
                        दुनिया कहन लगी मैने जोगी।।

चौबीस घंटे तेरा नाम जपूं सूं,  
            तेरे नामकी माला सिमरू सूं।
चरणों में थारे ध्यानधरूं सूं, थारी भक्ति या मेरा मन मोहगी।।

खाना भी छुटग्या मेरा पीना भी छुटग्या, 
             तेरी भक्ति का गुरुजी रोग यो लगग्या
ज्ञान का दीपक मन में जगग्या, मेरी आनंद काया होगी।।

तुम ही माता मेरी पिता तुम्ही हो,
               तुम ही मित्र बंधु, तुम ही सखा हो।
तेरे दास पे तेरी कृपा हो, मेरी सुरती तेरे में खोगी।।

राजफूल कुचरनिया यो गावै, 
               सच्चे यो दिल तैं  तनै रे मनावै।
थारे बिना कौन धीर बंधावावे, या ज़िंदगी तेरे नाम भोगी।।

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