*1044। शब्द मत छोडो रे शब्द के हाथ ना पाऊं 468।।

शब्द मत छोडियो रे शब्द के हाथ ना पांव।।

दाहिने हाथ को शब्द सुनो और चढ़ जा ऊंची धार।
शब्द विवेक साधु उतरे भवसागर के पार।।

बिना शब्दके साधु फिरते मूर्ख मूढ़ गवार।
शब्द विवेक की साधु के पांव पूजो बारंबार।।

शब्द से पोथी पुस्तक रचीया वेद रखे हैं चार।
बिना शब्द के कुछ भी नाहीं देखा सोच विचार।।

गुरु ताराचंद था भोला भाला, शब्द बिना लाचार।
सतगुरु राम सिंह पुर मिल गए खोल दिए भंडार।।

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