*960 मन पकड़े सो सूरा सूरत से।।

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मन पकड़े हो सुरा सूरत से, मन पकड़े सो सूरा हो जी।।
जो मन पकड़ सके ना सूरत से,  सो सब कूड़म कूड़ा हो जी।

हरी हरी धुन ले चढो गगन में, तब पावे पद पूरा ओ जी।।
परम पुरुष से रहे ना पर्दा, आठों पहर हजूरा हो जी।।

नाद बिंदु को एक घर रखें, उनमन  हो धुन लावे
शब्द अनाहद सुने रात दिन, तब परम पद पावे हो जी।।

सोई संत सियाना कहिए जो मन पर चोट चलावे हो जी।
पांच पच्चीसौ और तीन गुण, बांध एक घर लावे हो जी।।

बंक नाल के ऊपर आसन, बैठ राम गुण गावे हो जी।
कहे पानप जो इस विद सुमरे फिर जन्म नहीं पावे जी।।

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