*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65
तेरा कुंज गली में भगवान मंदिर में क्या ने ढूंढती डोले।। सोहनी सोहनी मूर्ति धरी मंदिर में, मावे मुख से बोले। बोलतड़ा को काहे विचारों, राई पर्वत ओलहे।। गोमुख से गंगा निकली, पांचों कपड़े धोले। बिन सतगुरु तेरा मैल कटे ना, हरि भज हल्का होले।। तन की कुंडी मन का साबुन, याही में शील समोले। सूरत ज्ञान का कर मोगरा दिल का दागल धोले।। शिव शक्ति की नौका चढ़ने हरी दर्शन तूं जोह ले। कह कबीर सुनो भाई साधो राई पर्वत ओलहे।।
Comments
Post a Comment