*912. देख तेरे ही मन मंदिर में।।420
देख तेरे ही मन मंदिर में बसा हुआ भगवान।
अरे तू कर उसकी पहचान।।
है घट घट में वास उसी का सूरज में प्रकाश उसी का।
जीवन में है साथ उसी का सबके सिर पर हाथ उसी का।
भूल उसे क्यों भटक रहा है डगर डगर इंसान।।
जीत अरे माया के अंधे डाल रहा यम सिर पर फंदे।
हरि चरणों में आजा बंदे तज दे जग के गोरखधंधे।
हो जाएगी राम नाम ले , सब मुश्किल आसान।।
अब तो आवागमन मिटाले मानव जीवन सफल बना ले।
ज्ञान गंगा में आज नहा ले ब्रह्म ज्योति में जोत जला ले।
कह सेवक तूं गुरु सेवा से पावे पद निर्माण।।
Comments
Post a Comment