*86. सतगुरु के बिना मार्ग कौन बतावे।। 30
सतगुरु के बिना मार्ग कौन बतावे।।
मात पिता ने जन्म दिया पर गुरु ज्ञान की बात कहें।
टोटा नफा और भले बुरे में सतगुरु देते साथ कहें।।
डोर धनी के हाथ रहे वह सब ने नाच नचावे।।
बिन सतगुरु के फिरे भटकता ज्यों कस्तूरी का मृग फिरे।
भरम की गटरी धरी शीश पर नाहक प्यारे बोझ मरे।
म्हारे सतगुरु बेड़ा पार करें गुरु ज्ञान की बलि लगावे।।
गुरु शब्द पर डटने से भाई भरम वासना भग जा सै।
आत्मज्ञान गुरु दे दे भव बंधन सब कट जा सै।
भाई खुद का बेरा पट जा सै, गुरु सोता हंस जगावे।।
भजन करा कर नारायण का सना तेरे शरीर चले
मुंशीराम भरम म भटका, गुरु ज्ञान के तीर चले।
साथ नहीं जागीर चले, क्यों व्यरथा भरम भरमावे।।
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