*818. तूं किस लिए जग में आया रे बंदे।। 385
तू किस लिए जग में आया रे बंदे ला ले हिसाब।।
खेला कूदा तू बचपन में राजी हो गया अपने मन में।
तेरा जोर जवानी छाया रे बंदे मानी ना दाब।।
ब्याह करवाया हुए बाल बच्चे यह भी नहीं कर्म तेरे सच्चे।
तूने इतना कुबूल है लाया रे बंदे जीवन खराब।।
बैल की ढाल जुड़ा जुए में अपने आप पढ़ा कुए में।
तूने खूब जोड़ ली माया रे बंदे बन गया नवाब।।
बूढा होकर खाट पकड़ ली नस-नस तेरी कतई जकड़ ली।
सिर धुन धुन के पछताया रे बंदे अब तू जनाब।।
खुद ही खुद को दे दिया धोखा कृष्ण लाल खो दिया मौका। ना भजन राम का गाया रे बंदे पीवे शराब।।
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