*728. तेरा सुना मनुष्य शरीर।। 351
तेरा सूना मनुष्य शरीर प्यारे गुरु बिना।।
मात पिता बंधु सुत नारी यह सब है मतलब की यारी।
तेरी कोई ना बंधावे धीर।।
ज्ञान ध्यानबिन हृदय सुना डाल पात बिन तरवर सुना
ताल सूना बिना नीर।।
बड़े-बड़े पंडित जोर लगा दो भूत भ के फिर भी ना भागे।
लाख करो तस्वीर तदबीर।।
ऋषि मुनि साधु ब्रह्मचारी, भेद बिना सब फिरे अनाड़ी।
ना कटे कर्म जंजीर।।
निगुरा कहता कागज लेखी गुरु हंस ने आंखों देखी
या सतगुरु में तस्वीर।।
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