*51 नाम लखा दी तो थारे पाया लागू।। 17

नाम लखा दिजो, थारे पायां लागूं।
भेद बता दिजो, थारे चरणों लागूं।।

जन्म जन्म का सोया म्हारा मनवा जी।
          शब्द की मार जगा दिजो।।
घट अंधियारा कुछ सुझत नाही की।
         ज्ञान का दीप जला दीजो।।
विष की लहर उठें घट अंदर जी।
          अमृत बूंद पीला दिजो।।
गहरी नदियां नाव पुरानी जी।
          खेय के पार लगा दिजो।
धर्मीदास री हो दाता अर्ज गोसाई की।
         अब को बार निभा दिजो।।

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