*499. मेरे लग गए बाण सुरंगी हो।। 220 ।।
मेरे लग गए बाण सुरंगी हो।
धन्य सतगुरु उपदेश दिया है हो गए चित् भृंगी हो।।
ध्यान पुरुष की बनी है त्रिया घायल पाचो संगी हो।।
घायल की गति घायल जाने जा जाने जात पतंगी हो।।
कह कबीर सुनो भाई साधो निश दिन प्रेम उमंगी हो।।
Comments
Post a Comment