*934. यह तरने का घाट भूलने मनवा।।
यह तरने का घाट भले मनवा समझए मेरे भाई।।
करनी के सूरे घने थोथे बांधें अखियां हथियार।
रण में तो कोई डटे सूरमा जहां बाजे तलवार।।
सुरा रण में आय कर रे किसकी देखे बाट।
ज्यों ज्यों पग आगे धरे रे आप कटे चाहे दे काट।।
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