*913. मनवा रे राम भजन जगतार 420

           मनवा रे राम भजन जग तार।।
बड़े-बड़े पृथ्वी के राजा छोड़ गए दरबार।।
       चार दिवस जग बीच निवासा वृथा सकल पसार।।
कंचन जैसी सुंदर काया पल में होवत जार।।
     ब्रह्मानंद करो हरि सुमिरन उतरो भवजल पार।।

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