*911 चलो रे मन यहां नहीं रहना।। 420

             चलो रे मन यहां नहीं रहना।।
धोखे की दुनिया है यहां कोई नहीं अपना।
        जब रे मना तेरा निकलेंगा प्राण ले चादर ढकना।।
ने गज धोती सवा गज डोवटी यही मिलेगी दक्षिणा।।
         चार जने मिल डोली उठाई जाए जंगल रखना।।
चुनचुन लकड़ी चिता रे बनाई फिर लगा दी अगना।।
         कहे कबीर सुनो भाई साधो नाम गुरु का जपना।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35