*891 तोरा मन दर्पण कहलाए।। 415
तोरा मन दर्पण कहलाए।
भले बुरे सारे कर्मों को देखे और दिखाए।।
मन ही देवता मन ही ईश्वर मन से बड़ा ना कोई।।
मन उजाला जब जब फैले जग उजियाला होए।।
सुख की कलियां दुख के कांटे मन सबका आधार।
मन से कोई बात छुपे ना मन के नयन हजार।।
तन की दौलत ढलती छाया मनका धन अनमोल।।
तनु के कारण मन के धन को मत मिट्टी में रोल।।
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