*194. मेरे हिवरे में बस गए रामा।। 77
मेरे हिवरे में बस गए रामा।
हरी दर्शन की प्यास हमारे कद पहुंचो उस गामा।।
प्रेम घटा जब चढी रे गगन में भीग रहे मेरे दामा।
चित चातक पी पी लो लाई, रटत रहे हरिनामा।।
नाला नयन हिलोर हिय की बहत रहे निशी जामा।
रक्त मास दोऊ भेंट विरह की रहे अस्त और जामा।।
स्वामी गुमानी रामदरश में जाए कहीं पैजामा।
नित्यानंद को हित कर रखो चरण छतर की छामा।।
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