*15. तू ही तू ही याद मोहे आवे रे दर्द में.. ५
तू ही तू ही याद मोहे आवे रे दर्द में।।
लख चौरासी भटकत भटकत।
मार पड़े भग जावे रे दर्द में।।
सुख संपत्ति का सब कोई साथी।
दुख में निकट नहीं आवे रे दर्द में।।
भाई बंधु कुटुंब कबीला।
भीड़ पड़े भग जावे रे दर्द में।।
शाह हुसैन फकीर साईं का।
हर्ष निरख गुण गावे रे दर्द में।।
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