*125 चांदी की दीवार को तोड़ा।। 51

चांदी की दीवार को तोड़ा मीरा ने घर छोड़ दिया।
एक राजा की बेटी ने गिरधर से नाता जोड़ लिया।।

नाचे गाए मीराबाई कर में लेकर इकतारा।
पग में घुंघरू गले में माला भेष जोगियन का धारा।
     राणा जी की आन बान को मीरा जी ने तोड़ दिया
सास कहे कुल नाशी मीरा लगी गले में फांसी रे।
कैसे होगा जीना मेरा जग करता मेरी हंसी रे।
        मन के पिया की बनी जोगणिया,
                  तन के पिया को छोड़ दिया।।
सांप पिटारा भेजा राणा ने और मौत के फूलों का।
हंसके मीरा ने जब पहना हार बन गया फूलों का।
          प्रेम दीवानी मीरा देखो मोह का बंधन तोड़ दिया।।
पी गई मीरा बाई देखो राणा के विष का प्याला।
कौन बिगाड़ सके है उसका जिसका गिरिधर रखवाला।
           ++++(((((++++++++
श्याम शरण में जो कोई आते शाम के ही बन जाते हैं।
भक्त दयालु भजन भाव में मीरा के गुण गाते हैं।।
       भवसागर से तर गई मीरा, भव का बंधन तोड़ दिया।।

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