*75. अब पाया है अब पाया है।। 26

अब पाया है अब पाया है मेरे सतगुरु भेद बताया है।।

सोना जेवर गाने सुनारा, भांति भांति सब न्यारा न्यारा।
जब मैं बेचन गई बाजारा, भाव बराबर आया है।।

मिट्टी चौक कुम्हार फिरावे बर्तन नाना भांति बनावे।
किस्म किस्म के रंग लगावे एक अनेक दिखाया है।।

चतुर जुलाहे तनिया ताना बनिया वस्त्र बहुत सुहाना।
एक ही ताना एक ही बाना सब में सूत लगाया है।।

सुर नर पशु खग जीव जहाना ऊंच-नीच सब भेज मिटाया।
ब्रह्मानंद स्वरूप पहचाना सब घट एक समाया है।।

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