*74 अब जाना है अब जाना है. 26

अब जाना है अब जाना है प्रीतम का रूप पिछाना है।।

गल विच हीरा हार अमोली, मैं ढूंढूं बाहर में भोली।
पर्दा दूर हुता जब चोली दामन बीच छिपाना है।।

बालक झूले बीच ही डेरा देती फिल्म नगर ढिंढोरा।
जब मन निश्चय हुआ मोरा घर भीतर दर्शना है।।

मृग नाभि में है कस्तूरी सूंघत घास फिरे वन दूरी। बिंजा ने बिन जाने निज मद जरूरी व्यर्था चिर भटकाना है

सतगुरु पूरा भेद बताया मेरे मन का भरम मिटाया।
धर्मानंद पास दर्शाया नैन से नैन मिला ना है।।


Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35