*538. जाग प्यारी अब क्या सोवे।।241
जाग प्यारीअब क्या सोवे रैन गई दिन काहे खोवे।।
जिन जागा तिन माणिक पाया, तैं बौरी सब खोए गवाया।
पिया तेरे चतुर तूं मूर्ख नारी कभी ना पिया की सेज सवारी।
तूं बोरी बोरापन किन्ही, भर जोबन पिया अपना ना चिन्ही।
जाग देख पिया सजना तेरे, तोहे छोड़ उठ गए सवेरे।
कह कबीर सुई धागे शब्द बाण उर आनंद लागे।।
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