*73. नजरों से देख प्यारे वह क्या दिखा रहा है।। 24

नजरों से देख प्यारे वह क्या दिखा रहा है।
सब चीज सब जग में ईश्वर समा रहा है।।

प्रभु ने जब भी विचारा जग का हुआ पसारा।
वह दे भुवन न्यारा मन में बना रहा है।।

कहीं नर बना है नारी कहीं देव दैत्य भारी।
पशु पक्षी रूप धारी बन बन के आ रहा है।।

भूमि कहीं अगन है पानी नहीं पवन है।
सूरज वहीं गगन है निर्गुण गुना रहा है।।

तू भेद भाव मन में वन में वही है तन में।
ब्रह्मानंद ज्यों स्वपन में रचना रचा रहा है।।




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