नई शब्द लिस्ट मार्च २०२३।।

         नई   शब्द लिस्ट।।                           
682 अखंड साहब का नाम।।
 89 अखियां हरी दर्शन की प्यासी।।
336 अगत में मत ना बोवे सूल।।
651 अगम गवर्नर कैसे करूं।।
553 अगम घर चलना है।।
125 अगर है प्रेम दर्शन का 70।।
452 अगर है प्रेम मिलने का 70।।
635 अगर है ज्ञान को पाना।।७६
465 अगर है मोक्ष की वंछा।। 69।।
543 अगमलोक से सतगुरु आकर।।
578 अचरज खेल अचंभा देखा।।
577 अचरज देखा भारी रे साधो।।
156 अजब है यह दुनिया बाजार।।
592 अजब फकीरी साहिबी बागों से।।
584 अटल फकीरी धुन लाइ।।
343 अति कभी ना करना बंदे।।
   9 अन घड़िया देवा कौन करेगा..
   9 अनघड़ की रे साधु..
136 अंदर अनमोला रे लाल।।
330 अनमोल तेरा तेरा जीवन यूहीं ग म आ रहा है।।
325 अपना मानुष जन्म सुधार।।
338 अपनी आत्मा पहचान।।
             अपने को आप भूल कर हैरान हो गया।। 68।।
450 अपने प्यारे सतगुरु जी का ध्यान लगाओ।।
140 अपने हाथों फांसी घाले।।
  93 अब कैसे छूटे राम धुन लागी।।
           454 अब कैसे प्रेम निभाऊं में।।        1
   7 अब कोई गुरु चरण चित् लावे..
 26 अब जाना है अब जाना है 281।।
104 अब तुम दया करो महादेव जी।।
322 अब तो तजो नर रति विशियन की।। 117।।
435 अब तो संभल के चाल मेरे मन अब तो।।
417 अब पाई हमने परम गुरु की ओट।।
  26 अब पाया है अब पाया है 281।।
161 अब मैं क्या करूं गुरु साईं।।
            455 अब मैं कैसे प्रेम निभाऊं।।
603 अब मैं भूला रे भाई।।
501 अब समझ सुहागिन सूरता नार।।
338 अभी मैं क्यों ना मरी।।
620 अमरगढ़ बांका है रे भाई।।
619 अमरपुर ले चल ओ सजना।।
621 अमरपुरी का ध्यान सतगुरु खबर करी।।
130 अमल निज नाम का मेरे दाता।।
196 205 अरे तू दुनिया में आया।।
197 अरे बंदे क्यों माया को भुला।।
572 अनहद की धुन न्यारी साधु।।
431 अलख निरंजन मन का मंजन।।
571 अवगत की गति न्यारी साधु।।
565 अवधूत अमल करे सोई पावे।।
566 अवधू ऐसा देश हमार।।
565 अवधूत ऐसा देश हमारा।।
566 अवधू ऐसा ज्ञान विचारी।।
564 अवधूत कुदरत की गति न्यारी।।
564 अवधूत गगन घटारानी।।                       2
564 अवधूत गगन मंडल घर कीजिए।।
565 अवधूत भूले को घर लावे।।
565 अवधूत माया तजी ना जाए।।
565 अवधूत मेरा मन मतवारा।।
566 564 अवधूत साधक गति विचारा।।२
571 अवगत से चल आया रे तेरा भेद भरम।।
110 अवसर बहुत भलों र भाई।।
131 अविनाशी अविनाशी मने तो तेरे नाम का।।
417 आई रे मनवा आई आज तेरी बारी।।
123 आई सत्संग में जीत लिया जंग में।।
356 आज के युग में मानवता।।
 16 आज तो आनंद हमारे सतगुरु आए अंगना..
 19 आज हमारे गुरु जी का आगमन होगा..
 15 आज मारे रंग बरसे..
638 आज मेरे गुरुदेव ने बतलाया।।
570 आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।।
 16 आज हमारे सतगुरु को घर लाऊं।।
469 आजा न शब्द की गेल दिखाओ।।
 41 आजा बंदे शरण राम की।।
 17 आनंद के लुटे खजाने..
153 आया था नफा कमावन।।
 42 आया था नर भजन करण को खा गया गलती।।
507 आया नगरी में धोबिया सुजान।।
   6 आया मैं थारी शरना गुरुजी।।
576 आया है आया है बंजारा केशव।।0
300 आवागमन मितावे सतगुरु।।
407 आवेगा तेरे काम नाम की बालद।।          3/
302 आशाओं का हुआ खात्मा।।
588 आशिक मस्त फकीर हुआ फिर क्या  गिरपना। 123।
233 आशिक हो ना फिर सोना क्या रे।।
341 आसमान में उड़ने वाले।।
579 इनमें कौन राम कहा या।।
 39 इश्क करे तो कर हरी से।।३
102 ईश्वर से करते जाना प्यार।।
103 ईश्वर तेरे दरबार की महिमा अपार है।।
346 इंसान जगत में आकर तुम क्यों मजबूर है।।
540 इस काया गढ़ की रेल में।।
 67 इसको जगा ले सजनी बन्ना सो गए हैं अटारी।।
378 इस जगत सराय में क्यों दिल को लगा बैठे।।
385 इस जग से सब ने जाना।।
425 इसने मै कैसे समझाऊं
535 इस पिंजरे में बैठा हनसा।।
।।356 इस माटी के स्थूल का सतगुरु बिना।।
188 इस माया ठगनी ने लूट लिया संसार।।
188 इस मोह माया की धार में।।                4 
136 इस सत्संग रूपी लाल की।।
 52 इस फिक्र में मीरा हुई रे बावली।।
         238 ईब तलक ना चेत किया।।
258 उजड़ा लखीना तेरा बाग रे।।
285 उजाला है उजाला है 284।।
536 उठ जाग मुसाफिर बोले आंख फूट गई।।
240 उठ जाग मुसाफिर भोर भई।।
234 उठ जाग सवेरा हो गया।।
500 उठो उठो हे सूरत मेरी जागो।।                
262 उमरिया बीती जाए रे।।
262 उमरिया बीता दई राम नहीं जाना।।
         261 उमरिया बीती जाए रे।।
627 उम्हाया मन उस घर का।।
552 उस घर की कोई शुद्ध ना बतावे।।
552 उस घर की हम उन्हें खोल बता दे।।
 91 उस साहिब ने याद कर।।४
496 ऊठ सवेरा जाग है।।
578 एक अचंभा देखा मेरी मां।।
365 एक आया अचानक चोर नगरिया मारी।।
660 एक दिन उड़े ताल के हंस।।
203 एक दिन ऐसा आएगा धन दौलत।।
              एक दिन ऐसा कलयुग आए।।
303 एक दिन जलेगी तेरी काया आग में।।
303 1 दिन गोगड़ आसी रे।।
304 एक दिन तो चलन होगा।।
184 एक दिन पड़ेगा सबको ही जाना।।
532 एक दिन पिंजरा खाली कर जाएगा।।                  5
403 1 दिन सबको जाना होगा रीति यही।।
   1 एक नाम लग जाऊं गुरुजी थारे।।
304 एक बार जीवित मर ले रे।।
593 एक रमता जोगी आया है।।
580 एक राम दशरथ का बेटा।।
 40 88 एक हरि के नाम बिना परलय में धक्के खा भाई।।
110 ऐसा अवसर बार-बार नहीं आए।।
 49 ऐसा ऐसा ख्याल विचारों भाई साहब।।
444 ऐसा ऐसा लगन लिखाया गुरुजी।।
630 ऐसा देश हमारा ओ अवधि।।
639 ऐसा ज्ञान हमारा साधो। 277।।
191 ऐसी करी गुरुदेव दया।। 117।।
215 ऐसी कौन सपेरण आई।।
             34 ऐसी गुरु मूर्ति की बलिहारी..
155 ऐसी ताली रे लगाऐ चला जा।।
331 ऐसी भूल दुनिया के अंदर।।
616 ऐसी मौज हमारी साधु।।५
427 ऐसी सेन समझ मन मेरा।।
            36  ऐसे हैं लो लीन सतगुरु ऐसे हैं।।
355 ओकाया गढ़ के वासी।।
530 ओ भोले पंछी सोच जरा।।
680 और बात थारे काम ना आवे।।
258 क्या कर लेगा माली जब टूटेगा।।
550 क्या काम है दूर दीवाने बंदे।।
           क्या गर्ज पड़ी संसार में जब लिया फकीरी बाणा।।
446 क्या ढूंढ रहे वन वन।।                           6
362 क्या तन मांजता रे।।
338 क्या ने देख दीवाना हुआ रे।।
412 क्या पानी में मलमल नहाए।। 28।।
        क्या भूलिया दीवाने।। 96।। 
387 क्या लेकर तू आया जग में।।
236 244  क्या सोवे सुमिरन की बरिया।।
 82 क्यों कर मिलो पिया अपने को।।
190 क्यों काया भटकावे माया।।
343 क्यों चले टेढ़ा मेढा रे।।
663 क्यों चाल चले है काग की।।
392 क्यों जग को देख लुभाया।।
242 क्यों पड़ सोया उठ जाग रे।।
669 क्यों पीवे तू पानी हनसा।।
597 क्यों फसा मरे जड़ वेद में।।
199 क्यों बना है पुतला मोह झाल का।।
373 क्यों भरम रहा संसार में।।
244 क्यों सोता पैर पसार रे।।
        239 क्यों सो वे तू जाग दीवाना।।
230 क्यों सोवे नींद भरम की।।
647 कठिन चोट बैराग की।।
 54 कठिन सांवरे की प्रीत।।६
 81 कदम उठाए पांव धर आगे।।
364 कदरदान मानस के आगे।।
132 कब हूं ना मैला होए नामधन।।
 65 कभी गई ना गुरु के डेरे में।।
294 कदे जन्म में कदे मरण में।।
328 कदे जन्म में कदे मरण में न्यू के पार पड़े सजनी।।   7
 68 कदे बाप के कदे पति के न्यू के पार पड़े सजनी।।
265 कदे लिया ना हरि का नाम उमरिया खो।।
 52 कब आओगे गुरूजी म्हारे देश।।
547 कबीर मेरी नैया उस पार लगा देना।।
 95 कभी किया ना भजन मा कैसे बीतेगी।।
195 करके माया का सहयोग।।
389 कर गुजरान गरीबी में कोई दिन।।
          590 कर गुजरान गरीबी में मगरुरी किस पर।।
340 करता क्यों इतना गुमान बंदे।।
578 कर्ता कर्म से नारा रे साधु भाई।।
132 कर दो नाम दीवाना गुरु जी।।
327 करना हो सो कर ले साधु।।
 91 कर भजन बंदगी बंदे।।
562 कर महलो की सैर महल मतवाला है।।
670 कर मेरे हंसा चेत।।
205 करले जतन हजार तेरे संग उतना जाएगा
305 कर लेना सामान मुसाफिर।।
664 कर ले भाई हंसा सतगुरु से मेल।।
          कर ले मन मेरा त्रिवेणी स्नान।।
437 कर ले रे मन राम नाम से मेल।।
112 करले सुमिरन घड़ियां चार।।
651 कर सतगुरु से प्रीत हेली।।७
 56 कर सोलह सिंगार गुरु के देश।।
 40 कर हरि नाम की कमाई बंदे।।
          359 करे काया का गुमान काया जल जाएगी।।
309 करे तो शुभ कर्म कर ले।।
561 करो अगम निगम की सेल।।
460 करो ओम नाम का सुमिरन मुक्ति मिल जावे।।         8
562 करो रे मन गगन मंडल की सेल।।
430 करो रे मन वा दिन की तस्वीर।।
261 करो हरी का भजन प्यारे उमरिया।। 84।।
 90 करो हरी का भजन या मंजिल पार हो जाएगी।।
477 कहे तो ले चालू है।।
354 कहां से आया कहां जाएगा।।
660 कहो पुरातन बात अंसा।।
321 काम ने सब जग खाया।।
529 काया का पिंजरा डोले रे।।
355 काया नगर गढ़ भारी।।
671 काया नगरी में हंसा बोलता।।
673 काया रे तेरी पावनी।।
            कारीगर की चातरी।।
279 काल गति बलवान साधव।। 275।। 
 55 काला काला नाग हे मीरा।।
          273 कॉल ने जगत अजब भरमाया।।
569 काशी जी के वासी रे साधु।।
   1 काहे की भेंट गुरु थारे।।
 21 काहे दूर जाए बंदे ईश्वर तेरे पास में..
312 काहे बजाए शंख नगाड़ा।।
448 काहे रे बन खोजन जाई।।८
439 काहे सोच करे नर मन में 153।।
448 कित जाऊं में कित जाऊं मैं 279।।
308 किया कर्म तेरे आगे आवे।।
   1 किस पर मैं जान तुमने तो छोड़ दाता जी।।
371 किस भूल में दीवाना हुआ रे।।
 99 किस विधि हरि गुण गाऊं में।।                     9
        400 कुछ सोच समझ प्राणी एक दिन दुनिया से।।
347 कुब्ध ने छोड़ दे भाई।।
193 के के रूप धारा माया ने।।
157 के बांध गाठड़ी लाया रे।।
421 के मनवा मान रह कही।।
421 के मनवा मान रे कहां।।
238 के सोवे सुख नींद मे रे।।
          405 कैसे जाएं सखी मेरे मन के विकार।।
644 कैसे मिलूं मैं पिया अपने को।।
236 कैसे सो जा रे मुसाफिर।।
  81 कैसे हो हरि मेला रे।।
153 कोई ऑन करो व्यापार घाटा रहता ना।।
378 कोई आवे है कोई जावे।।
 56 कोई कहियो रे गुरु आवन की।।
 59 कोई कुछ भी कहो रे मन लागे।।
 23 कोई गावे गुरु की महिमा सार।।
         470 कोई चूड़ी ले लो आया शब्द मनियार।।
628 कोई दूर बतावे देशां।।
177 कोई पीवे र रस राम नाम का।।
408 कोई बदलेंगे हरिजन सूर मनवा तेरी आदत।।
433 कोई राम राम कोई हरि हरि बकता है।।
167 कोई रोगी रोग कटा लियो।।
166 कोई रोगी ले लो भाई।।
        308 कोई लाख करे चतुराई कर्मों के लेख मिटे ना।।
    309 कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना भाई।।
638 कोई समझेंगे चतुर सुजान समझ गुरुदेव की।।
384 कोई समझे ना गुरु की बात को।।                  10
152 कोई सौदा ले लो खुद ही धर्म की हॉट।।
130 कोई होवे आमली सतगुरु के नाम का।।
580 कौन कहां से आया रे साधु।।
           305 कौन मरा और किसने रोवे।।
652 कौन मिलावे मोहे पीव से।।
372 कौन सुने कौन माने।।
236 कौन वक्त सोवन की बारी।।
            खबरदार रहना रे मेरे भाई।।
 33 खसम बिना तेली का बैल भया..
160 खेती भली कमाई साधो
214 खेल तेरे 2 दिन के सारे।।
212 खेल समझ के खेलन लागे।।
594 खोज करो नगरी में साधु।।
333 खो दिया जन्म फिजूल।।
229 गई जवानी बीत रहा क्यों सोता है।।
560 गगन की ओट निशाना है।।
559 गूगल गुफा के बीच में।।
561 गगन चड़के देख ले पिया प्यारा।।
559 गगन मंडल में अमीरस बरसे।।
559 गगन मंडल में जाकर सोनू।।
560 गगन मंडल लगा ताला।।
558 गगन में आग लगी बड़ी भारी।।
563 गगन में कोई हरिजन सेल करें।।
557 गगन में जा चढो भाई।।
558 गगन मे रे अलख पुरुष अविनाशी।।१०
157 गठरी मठरी कित  भूला रे मुसाफिर गठरी।।
158 गठरी छोड़ चला बंजारा।।                      11
158 गठरी में लागी तेरे चोर।।
618 गढ़ चेतन चढ़ देख ले।।
344 गंदी कोड अंधेरी तेरी रे।।
 33 गरज बिना कोई नहीं रे प्यारा।।
338 गर्व ना करो रे गवारा।।
369 गलती है तेरे हिसाब में।।
 55 गले में माला बनी भगतनी।
241 गाढ़ी नींद ना सोवे।।
274 गाफिल कैसे रे।।
579 गुणी सांच बता दे जीव कहां से आया।।
         75 गुमानी गोविंदा थारे चरण कमल पर वारी।।
181 गुरु के बिना कौन बंधावे मारी धीर।।
374 गुरुऔ ने आग लगाई है सखी।।
215 गुरुओं ने बीन बजाई साधु मेरा मन पकड़ा।।
 10 गुरु कर दो बेड़ा पार जिस पर दया थारी..
 11 गुरु कर दो बेड़ा पार जिस पर दया थारी दो..
 12 88 गुरु का नाम रटो भाई।।
 12 88 गुरु का शरणा ले भाई..
556 गुरु की मेहर हुई घर पाया।।
 57 गुरु की लाडली है तू क्यों ना प्रेम बढ़ावे।।
487 गुरु की शरण में आओ री सुरतिया।।
   6 गुरु के चरण में धरो ध्यान मान अभिमान..
459 गुरु के बिना बंदे तेरी कैसे होगी मुक्ति।।
 50 गुरु के बिना सूना हमारा देश।।
   4 गुरु के समान दाता और ना जहान में..११
   4 गुरु के समान दाता कोई नहीं रे जग मांगन हारा..
   3 गुरु के समान नहीं दाता रे जग में..                 12
   3 गुरु के समान नहीं दूसरा जहान में..
634 गुरु गम ज्ञान एक न्यारा।।
 13 गुरु चरण कमल बलिहारी..
 13 गुरुचरण लाग्या रहे..
 27 403 गुरु चरणों से प्रीत ना जोड़ी..
   7 गुरुजी ओढ़ नीभाइयों.. ही
547 गुरुजी तार दो३ मेरी फसी भंवर में नैया।।
   2 गुरु जी थारी महिमा न्यारी है..
127 गुरुजी दर्शन की प्यास घनेरी।।
160 गुरुजी दे दो आशीर्वाद खेती हम भी।।
 14 गुरु जी हमने अवगुण बहुत करें..
 31 गुरु थारे बिना बिगड़ी ने कौन समारे..
 18 गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना
170 गुरु नाम की दवाई जिसने खाई।।
276 गुरु नाम को रट ले बंदे जीवन है यह थोड़ा।।
            400 गुरु नाम सुमर मन भाई रे तेरी सहज मुक्त।।
 14 गुरु ने झीनी वस्तु लखाई..
            गुरु बिन कौन उभारे जी।।
 29 गुरु बिन कौन बतावे बात..
 36 गुरु बिन कौन मिटावे भव दुख 271।।
 35 गुरु बिन कौन सहाई नरक में।। 272।।
 27 गुरु बिन घोर अंधेरा रे साधु भाई..
              34 गुरु बिन जाओगे कौन बटिया।।
 28 गुरु बिन तेरो कौन सहाई है..
 28 गुरु बिन धक्के खाओगे..
553 गुरु बिन पावे ना वह तो घर और है।।१२
 29 गुरु बिन मुक्ति ना चाहे कर ले जतन हजार..           13
 28 गुरु बिना मुक्ति ना होएगी..
 33 गुरु बिन विपद हरे कौन भाई
 29 गुरु बिना ज्ञान नहीं मुक्ति कैसे पाओगे..
   6 गुरु भजा सोई जीता रे जग में..
 14 गुरु म्हारे ने दिनही है ज्ञान जड़ी..
              गुरु मिल गए पूरम पूरा।।
484 गुरु मिले खिलावन हार।।
484 गुरु मिले पढ़ावन हार।।
167 गुरु मेरा वैद्य है जी।।
661 गुरु मेहर करे जब काग से।।
573 गुरु रामानंद जी समझ पकड़ो मेरी।।
336 गुरु वचन हिये में धार।।
 15 गुरु वचनों को रखना संभाल के..
366 गुरुवर मेरा ये जीवन अब तो सवार दो।।
   7 गुरु सुनियो अरज हमारी..
441 गुरु से लगन कठिन है रे भाई।।
 10 गुरु हमको पार लगाओ जी..
635 गुरु ज्ञान की भांग पिलाई।।
635 गुरु ज्ञान की हो बरसात।।
593 गोरख जोगी बाबा नाथ पुकारे।।
446  घटका करो  विचार साधु।। 274।।
448 घट घट में लखों है दीदार।।
446 घट ही में अविनाशी साधु।।
 62 घर कुनबे का ख्याल रहा ना।।
         620 घर तेरा अमरापुर वंदे जगत मुसाफिरखाना है।।
 74 घूंघट के पट खोल रे।।१३
397 घूम घूम के देखा सारे।।                           14
360 चमड़ा देख चमार बताएं।।
517 चरखले आली रे तेरा।।
520 चरखा कात सुधार री।। 3००..
519 चरखा चले सूरत विरिह्न का।।
519 चरखा नहीं निगोड़ा चलता।।
518 चरखा परे हटा ले री माई।।
517 चरखा परे हटा ले री मां।।
             चरखा रे सतगुरु ने खूब घड़ा मेरे भाई।।
520 चरखा हिलने लगा सारा।।
518 चरखे का भेद बता दे।।
654 चल गुरुओं के देश हेली।।
426 चल मन हरि चट साल पढ़ाओ।।
152 चल सतगुरु की हॉट सौदा महंगा है।।
650 चल सतगुरु के द्वार हेली।।
670 चल हंसा उस देश जहां कभी मौत नहीं।।
659 चल हंसा उस देश समुंदर बीच।।
381 चला संसार छोड़कर रे।।
537 चली जा रही है जीवन की रेल।।
260 चली जा रही है उम्र धीरे-धरे।।
260 चली चली रे उमर बीत चली रे।।
650 चलो उस देश में हेली।।
619 चलो चलें हम बेगमपुर गांव रे।।
 70 चलो चलो सखी अब जाना।। 59।।
627 चलो नर उस देश में।।
481 चलो पिया के देश हे मेरी सूरत।।
555 चलो मुसाफिर अपने घर।।१४
420 चलो रे मन यहां नहीं रहना।।                      15
670 चलो हंसा वही देश।।
 51 चांदी की दीवार को तोड़ा।।
385 चार दिन की जिंदगी है।।
303 चार दिनों की चमक चांदनी।।
 20 चाहे भूल जाए यह सारा जमाना।।
           चाहे लाख करो चतुराई कर्म का लेख मिटे ना।।
161 चिड़िया चुग गई खेत मुसाफिर।।
672 चुग हंसा मोती मानसरोवर ताल।।
508 चुनरिया ओढ़न वाली है।।
606 चेतन चमक न्यारी साधु।। 277।।
489 चेतन होकर जड़ ने पूजे।।
539 चेतन हो जा रे मुसाफिर।।
             चेत रे नर चेत प्यारे।। 156।।
567 चेला रे दिल दरिया हीरा भरा।।
239 चौरासी की नींद से सतगुरु ने।।
275 छम छम करता आवेगा जब समय।।
538 छुक छुक जीवन की रेल चली।।
538 छुक छुक रेल चली है जीवन की।।
349 छुड़वाइयो मेरे सैयां।।
555 छैल चतुर रंग रसिया।।
       398 छोड़ इस दुनिया को बंदे एक दिन जाना है।।
399 छोड़ कर संसार जब तू जाएगा।।
 49 छोड़ मत जइयो जी महाराज मोहे बैरागन करके।।
411 छोड़ मन मेरा रे बे मुखिया यू संघ।।
346 छोटा सा बनके रहना रे जगत में।।
340 छोटा सा होकर घूम ले रे गलियां।।
         589 जग जोगी वाला फेरा।।                     16
400 जगत चला जाए यहां कोई ना रह ना कोई।।१५
380 जगत तज चलना है रे नादान।।
389 जगत में आकर रे बहुत गए जख मार।।
388 जगत में कोई नहीं तेरा रे।।
333 जगत में जीवन है दिन चार।। 269।।
391 जगत में जीवन है दिन चार।।२।।
392 जगत में राम नाम है सार।। 268।।
390 जगत में स्वार्थ का व्यवहार।। 267।।
661 जगमग जगमग होई।।
372 जग सपने की माया साधु।। 175।। 
 67 जगा ले सजनी बन्ना सोव है अटारी।।
507 जतन से जरा ओढ़ चुनरी।।
139 जन्म तेरा हीरा है।।
 23 जन्म लिया ना दिया गुरु के बिना..
605 जप तप योग तपस्या साधन या।।
358 जप ले हरि का नाम काया ना तोहे।।
 85 जप ले हरि का नाम वक्त गवाई ना।।
569 जपो रे मन केवल नाम कबीर।।
           जब तेरी डोली निकाली जाएगी।।
392 जब रहना नहीं संसार में।।
544 जरा गाड़ी हल्के हांको।।
           जलभरा किले में ताल मेल के वस्त्र।।
657 जहां हंस अमर हो जाए।।
665 जाएगा हंस अकेला।।
175 जाके पिए अमर हो जाए।।
240 जाग जाग नर जाग सवेरा।।
235 जाग जा मुसाफिर घना साेवे मत्ना।।                 17
230 जाग जा मुसाफिर प्यारे सोवे मतना।।१६
242 जाग प्यारी अब क्या सोवे।।
           243जाग मुसाफिर क्या सुख सोवे।।
          जाग मुसाफिर देख 118।।
236 जाग रे नर जाग दीवाना।।
          241 जाग रे नर जाग प्यारे।। 155।।
475 जाग री जाग री मेरी सूरत सुहागन।।
241 जाग रे मुसाफिर ज्यादा सोना ठीक नहीं।।
241 जाग सखी उठ जा हे तेरे सतगुरु आए।।
238 जागो जागो रे मुसाफिर अब तो करो।।
           जागो जागो हे ननद मेरी जागो।।
683 जागो रे माया के लोभी।।
376 जा टूट भरम के ताले।।
304 जाना पड़े जरूर एक दिन।।
295 जाना पड़े जरूर बंदे तूं राही जमपर का।।
622 जावेगे दीवाने देश फिर नहीं आएंगे।।
196 जित देखूं उत माया बैठी।।
594 जिनके मन में निश्चय होगी।।
           जिनके लगी शब्द की सेल घायल वो न जीवे।
640 जिन को ज्ञान हुआ था।।
332 जिंदगानी भूल में लुट गई।।
532 जिंदगी एक पंछी तो है।।
334 जिंदगी की बाजी प्यारे हार मत जाना।।
668 जिंदगी में हजारों का मेला लगा।।
332 जिंदगी सुधार बंदे।।
460 जिंदा राम कहो या सतगुरु।।
             जिनमें लगी गुरु की ओट कारज उनका।।
570 जिया मत मार चेला मुआ मत लाना।।
189 जिसकी लेकर आई पूंजी।।                           18
         467 जिसके लगे शब्द की चोट दूजा क्या जाने।।१७
468 जिसके लगे शब्द की सेल वह घायल।।
639 जिसको नहीं है बोध तो गुरु ज्ञान।। 227।।
126 जिस दिन गुरूजी तेरा दर्शन होगा।।
601 जिसने जान अपना आप लिया।।
297 जिसने वचन सुने साहेब के जा दरबारा।।
360 जिसमें बोले से रमता राम।।
327 जी करके भतेरा देख लिया।।
449 जीव जीव में है वही।।
537 जीवन तो भैया एक रेल है।।
             329 जीवन ये अनमोल रे इसे मिट्टी में।।
            जीवन हत्या के अपराध का बन गया मुकदमा।।
330 जीवन है अनमोल इसके दाग लग गई यह।।
329 जीवन यह अनमोल रे तूने यूं ही।।
585 जो आनंद संत फकीर के।।
201 जोड़ जोड़ धर ली जितना जोड़ चला जाएगा।।
       202 जोड़ जोड़ भर लिए खजाने।।
         जोडो री कोई सूरत नाम से।।
613 जो तीन लोक से न्यारा।।
681 जो तूं पिया की लाडली रे।।
604 जो नैना अलख लखावे सो सतगुरु मोहे भावे।।
530 जो मैं होता सोन चिरैया।।
468 जो शिष्य धर्म पर डट गए।।
469 जो गुरु धम पर डट गए।।
474 जो गुरु शब्द पर डट गए।।
348 झूठ फरेब को मन से हटा कर।।
312 झूठ बराबर पाप नहीं है।।                          19
388 जो सब जगत पसारा रे।।
377 झूठा है संसार रेन का सपना।।१८
377 झूठा है संसार सारा कैसा तेरा।।
163 टांडा तो तेरा लद जाएगा।।
163 टांडा लाद चला बंजारा।।
187 ठगनी क्यों नैना चमका वे।।
183 ठगियों की नगरी फस गया।।
190 डर लागे और हंसी भी आवे।।
667 डाटा ना डटेगा अरे।।
434 डाटा ना डटेगा रे।।२।।
625 डुगडुगी शहर में बाजी।।
358 डोर लागी रे गुरु संग डोर।।
472 ढूंढ शब्द में कनिहारी।।
402 त्याग कर चलना होगा सतगुरु के दरबार में।।
387 तज आश जगत की भज ले  निज नाम।।
672 तजदे हंसा भूल भरम को।।
411 भजो रे मन हरी विमुखन को संग।।
641 तत्वज्ञान के बारे में।।
120 तन मन के मीठे विकार जिसने पाया सत्संग सखी।।
354 431 तन खोजा मन पाया।।
354 तन धर सुखिया कोई ना देखा।।
353 तन मंदिर अंदर।।
363 तन मन धन की बाजी लाले।।
 06 तन मन शीश ईश अपने को।।
          362 तन राम का मंदिर साधु भाई।।
679 तन सराय में जीव मुसाफिर।।
132 तनिक तोड़ा जाए नाता नाम का।।                 20
 59 तने खबर नहीं ससुराल की पीहर में उम्र गवाई।।
305 तने जाना होगा रे।।१९
         393 तने जाना होगा रे सारी दुनिया छोड़ के।।
198 तने तो मेरा पिया मोह लिया है।।
198 508 तने तो मेरा पिया मोह लिया है।।
293 तने धर्मराज के जाना।।
328 तने नहीं आपा चीन्हा रे।।
363 तने मनुष्य धरा लिया नाम।।
192 तने माया रे बटोरी हरी नाम ना लिया।।
139 तने मिला यो हीरा कीमती।।
         तने रमता राम भूलाना रे।।
322 तने व्रथा जिंदगी खोई रे।।
188 तने समरा ना हरि नाम इस मोह माया के चक्कर में।।
 41 तने हरी नाम ना ध्याया।।
297 तमाशा थोड़े से दिन का।।
212 ताश तुम खेलो रे भाई।।
611 तीन पांच से जगत रचाया।।
456 तू कर प्रभु से प्रीत यूं ही दिन।।
            तूं कर बंदगी भजन धीरे धीरे।।
 92 तूं कर भजन भगवान का इंसान बावले।।
149 तू कर ले एक वकील मुकदमा भारी है।।
149 तू कर ले गुरु वकील मुकदमा भारी है।।
385 तुम किस लिए जग में आया रे बंदे।।
445 449 तूं खोजत किस है फिर तेरे घर में सर्जन हार।।
197 तू चालीजा हे मार्ग अपने को।।
560 तू चढ जा गगन के बीच।।
 71 तू झीने रास्ते जाइए हो।।                           21
527 तू तो उड़ता पंछी यार।। 165।।
577 तू तो कोई गजब है।।२०
161 तू तो गफलत में सो गया रखवाला।।
496 तू तो चाल साजन के देश।।
 69 तू तो फंसी काल के जाल।।
123 तू तो सत्संग करता रहिए रे।।
 50 तू तो से मैंली सी नार।।
234 तूं दे निद्रा को त्याग।।
467 तू पकड़ शब्द की डोर है सखी।।
265 क्यों बदले सतनाम उमर रही थोड़।।
 85 तू भज ले हरि का नाम तेरे काम आएगा।।
599 तुम देखो बाबा संत करें बादशाही।।
534 तुम पढ़ो री मेंना मधुर बैना।। 240।।
535 तुम पढ़ो रे तोता क्या सुख सोता।। 239।।
 56 तुम पलक उघाड़ो दीनानाथ।।
 56 तुम म्हारी भी बनाई हो महाराज।।
600 तुम सुनो संत सुजान।।
   7 तुम सुनो दयाल म्हारी अर्जी..
642 तुरिया पद में आसान लाके।।
625 तूं राम भजन में लग जा।।
 91 तूं राम सुमर ले मंजिल दूर पड़ी।।
470 तू समझ देख ले सतगुरु शब्द आधार।।
   5 तू ही तू ही याद मोहे आवे रे दर्द में..
137 तेरा किसने लाल चुराया।।
 66 तेरा कुंज गली में भगवान।।
        483 तेरा गुरु से मिलन कैसे होगा है।।
159 तेरा चिड़िया ने खा लिया खेत।।                          22
159 तेरा चिड़िया ने खा लिया खेत दो।।
168 तेरा जन्म मरण कटे रोग।।२१
 18 तेरा जन्म मरण मिट जाए गुरु का नाम रटो प्यारे..
211 तेरा जीवन के जुए का खेल है।।
633 तेरा जीवन है बेकार गुरु ज्ञान के बिना।।
 88 तेरा जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में।।
 67 तेरा मंदिर मेला है इसमें राम कहां से आवे।।
155 तेरा मेला लगा बाजार।।
126 तेरा मैं दीदार दीवाना।।
 61 तेरा लेकर नाम रहूंगी।।
351 तेरा सुना मनुष्य शरीर।।
351 तेरा सुना मनुष्य शरीर।।२।।
475 तेरा हरी से मिलन कैसे होय।।
475 तेरा हरी से मिलन कैसे होय।।२।।
357 तेरी काया के अंदर छोटा सा है मंदिर।।
350 तेरी काया नगर का कौन धनी।।
355 तेरी काया नगर का हीरा रे।।
359 तेरी काया में गुलजार।।
 91 तेरी किस्मत माडी रे राम नाम लगे खारा।।
260 तेरी गई उमरिया बीत।।
141 तेरी गुदड़ी में हीरा जड़ा।।
325 तेरी जन्म जन्म की कट जा बेड़ी।।
414 तेरी दुरमति कौन मिटा वे।।
 85 तेरी बिगड़ी बात बन जाए गुरु का नाम सुमर प्यारे।।
262 तेरी बीत उमरिया जाएगी रे।।
264 तेरी बीती जाए उमरिया हरि के नाम बिना।।
           191 तेरी माया है अपरंपार सतगुरु तेरा।।
 22 तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना..                      23
463 तेरी याद सतावे मैंने पल पल रुला वे।।२२
553 तेरे अगले घर में रोज खड़क रहे।।
446 तेरे घट में झलका जोर।।
189 तेरे जीवन के दिन चार मत फंसे।।
346 तेरे जैसे बहुत घने मर गए।।
103 तेरे द्वार खड़ा भगवान।।
133 तेरे नाम पर आशिक होगे और किस पर।।
498 तेरे बंधन कट जाए सारे।।
513 तेरे मन की चादर मैली है।।
581 तेरे सब दिन बंदे रहते न एक समान।।
415 तोरा मन दर्पण कहलाए।।
303 तोड़ चलेगा जग से नाता।।
355 थारी काया कमरती नाड़ी को कोई नखरो।।
173 थारी काया रहे अलमस्त।।
 40 थे ऊपर ने पैर तले ने सिर तेरा।।
449 थोड़ा ध्यान लगा गुरुवर दौड़े आएंगे।।
304 दम निकले पीछे घड़ी ना रखे कोई।।
171 दर्द ने चूंट खाई रे।।
 35 दया सिंधु दातार दया करो मेरी।।
586 दर्श दीवाना बावला।।
          124 दर्शन दियो जी दीदार थारे दर्शन बिन काया द।
127 दर्शन देख दिल में छक्का संसार ना भावे।।
128 दर्शन बिन जियरा तरसे रे।। 254।। 184।।
 83 दर्शन सदा राम मोहे दीजिए।।
126 दर्श बिन दुखन लागे नैन।।
  21 दाता तुमने काज बनाए जी सबन के..
  73 दिखा दे यारमुखड़ा घूंघट में क्यों छुपाया है 92।।24
505 दिन दिन मेली होए चुनरिया।।२३
515 दिन दिन मैली होई चुनरिया।।२।।
516 दिन दिन मैली होई चुनरिया।।३।।
376 दीया है भरमगढ़ तोड़।।
 83 429 दिल दे दिया सतगुरु प्यारे नू।।
653 दिन महरम की बात।।
441 दिया तो चासो भाई गुरु की लगन का।।
128 दिला दे भीख दर्शन की प्रभु तेरा भिखारी हूं।। 86।।
375 दीवानी दुनिया रे यह भूला है जग सारा।।
235 दीवाने जाग जा रे।।
 96 दीन दयाल भरोसे तेरे।।
372 दूई ने छोड़ एक होले।।
318 दुख आया है बंदे।।
184 दुख पावेगा बंदे मोह के जाल में।।
318 दुख में मत घबराना साथी।।
144 दुनिया में तेरा कोई ना मित्र प्यारा।।
395 दुनिया में हो बाबा नहीं है गुजारा।।
393 दुनिया से हम हारे तो आए तेरे द्वार।।
169 दूर धाम से चलकर।।
379 दुविधा को कर दूर।।
572 देख कबीरा रोया संसार के लिए।।
432 देख तमाशा रे डॉट लोभी मन ने।।
385 देख तेरे संसार की हालत।।
420 429 देख तेरे ही मन मंदिर में।।
              देख नजरों से 190।। 247।।
242 देख प्यारे में समझाऊं।।
382 देख लिया संसार हमने देख लिया।।                25
           देखा अजब खिलाड़ी साधु।। 274।।
          565 देखा देखी खेल है अवधूत।।
626 देखा देश अनोखा साधु भई।।२४
628 देखा देश अपारी साधु।।
121 देखी अजब निराली महिमा सत्संग की।।
 23 देखो रे भाई अपने स्वामी का नूर..
371 देखो रे लोगो भूलभुलैया का तमाशा।।
387 देखो सब जग जाए बहा।।
666 देश विराना रे हनसा।।
529 दे हरि वचनों पर ध्यान तोता उड़ जाएगा।।
361 देहि ने क्या धोवे मलमल के।।
131 दौड़ सब मेटी है रे।।
390 दो दिन का जग में मेला।। 60।।
302 दो दिन का है डेरा सवेरे जाना है।।
335 दो दिन की जिंदगानी रे प्राणी।।
347 दो दिनों की जिंदगी इतरावे क्यों।।
650 दो नेन के बीच रमया प्यारा।।
451 ध्यान का वादा करके सजन 112।।
          धत तेरा दरबार दाता धत तेरा दरबार।।
347 धन जोबन और काया नगर की।।
567 धन-धन सत्य कबीर भव पीर मिटाने वाले।।
335 धन माया रंग रूप का।।
575 धरती धन्य जहां पर जन्मे।।
308 धर्म-कर्म दिए छोड़।।
495 धर ले सुरता ध्यान है।।
491 धाम दिनोद में चालीए सुरता।।
181 धीरज क्यों ना धरा रे लोभी मन।।                       26
182 धीरज क्यों ना रे लोभी मन।।
181 धीरा रे मन धीरा।।
423 धीरे-धीरे मोड़ तू इस मन को।।
217 धोबिया जल बिच मरत पियासा।।२५
504 धो ले न काया चुनरी थारे के पानी का टोटा।।
101 नजर भर देख ले मुझको।। 77।।
101 नजर भर देख ले मुझको दो।। 78।।
447 नजर से देख ले भाई ईश्वर तेरे।।
  22 नजरों से देख प्यारे मैं हूं तेरे पास में।। 103।।
 24  नजरों से देख प्यारे वह क्या दिखा रहा है 102।।
545 नदिया गहरी नाव पुरानी।।
167 नब्ज या वेद क्या देखे।। 94।।
   2 नमो नमो हमरे गुरुदेव को।।
368 नर कपट खटाई छोड़ कर आकर काम।।
337 नर काहे करे गुमान कोई ना अमर।।
340 353 नर कितनी ए कर चतुराई।।
344 नर कितने खप गए।।
199 नर चेत गुमानी माया न संग चले।।
290 नर चेत रे बुढ़ापा आवेगा।।
337 नर छोड़ दे कुवध कमान।।
 79 328 नर र्जन्म अमोलक खोया रे।।
295 नर तू बचना चाहिए यमसे।।
175 नर तेरी काया रतन अमोल।।
304 नर धोखे धोखे लुट गए।।
            नर यूं ही देह धरी रे हरि नाम के बिना।।
628 नर सोच समझ के चलिए रे मन मूरख देश पराया।।
666 न्हा हंसा नहा हंसा।।                        27
332 नहीं भरोसा कुछ भी बंदे तेरी इस।।
140 नहीं रे कोई धुर का मीता।।
311 ना जाने तेरा साहिब कैसा है।।
199 नाथ तेरा माया जाल बिछाया।। 32।।
450 ना ध्यान हरी में लाया रे इंसान बावले।।
187 ना ना रूप धर मोहे।।
528 ना का भरोसा किसी बात का।।२६
114 नाम का सुमिरन करके।।
 18 174 नाम की जड़ी रे हरी नाम की जड़ी..
133 नाम गुरु का जप ले बंदे।।
134 नाम निरंजन गाओ साधु 275।।
133 नाम निरंजन निको साधु।।
373 नाम बिन भरम कर्म नहीं छूटे।।
 17 134 नाम लखा दीजो थारे पाया लागू..
134 नाम सुमर ले सुकृत करले।।
131 नाम से मिला ना कोई रे साधु।।
 99 नाम हरि का जप ले बंदे।।
276 नाम हरि का जप ले बंदे जीवन है यह थोड़ा।।
531 नारायण नारायण बोल तोते।।
540 नाव तेरी मझदार किनारे।।
298 नाशवान की आस में तज दिए।।
588 ना समझे ये मूर्ख लोग जग जोगी वाला।।
482 ना सोवे सूरत सुहागिन तूने पिया मिले।।
 83 नितानंद छिक़ रहे नूर में।।
618 निंदक यार हमारा साधु।।
231 निंद्रा बेच दूं कोई ले तो।।
336 निंदा चुगली ईर्ष्या में मन को।।                      28
232 निंदिया तोहे बेच आऊं।।
623  निरंजनपुर का बहुत कठिन है 233।।
448 निरंजन माला घट में फिरे दिन रात।।
           निर्भय देश के माही हमने राज जमाया।।
366 नुगरा मत मिलजो चाहे पापी मिलो।।
540 नया बोझ भरी गुरुजी मेरी।।
278 पछतावेगा रे पछतावेगा काल सिरहाने।।
272 पछतायेगा पछताएगा फिर बेला हाथ नहीं।। 285
         पढ़ सुगना सत्यनाम बैठ तन ताक में।।
533 पंछीड़ा लाल आशी।।२७
528 पंछी दिन पिंजरा आवे भला किस काम।।
404 पंथीड़ा पंथ बांका रे।।
 53 पपया बैरी रे पिया पिया मत बोल।।
 79 प्रभुजी दीजो दर्श सुखार।।
          प्रभु तूने कैसा खेल रचाया।।
145 प्रभु तुम सच्चे मन के मीता।।
549 प्रभु मेरी नैया को 40।।
681 प्रीत उसी से कीजिए।।
455 प्रीत गुरु संग ना जोड़ी।।
456 प्रीत लगाकर प्रीतम पावे।।
680 प्रीत लगी तुम नाम की।।
453 प्रेम का मार्ग बांका रे।।
453 प्रेम की बात निराली है।।
453 प्रेम प्रीत की रीत दुहेली।।
454 प्रेम बिना ना सतगुरु मिलता।।
486 पहरों पहरों है सुहागन सुरता नार।।
367 पाखंड में कुछ नाही रे साधु।।
367 पाखंडी दुनिया कहो ना कैसे तरीया।।                 29
641 पांच तत्व और तीन गुणों में।।
341 पांच तत्व का बना पुतला।।
514 पांच तत्व की बनी है चादर ज्ञानी अब तो।।
518 पांचों हे तत्व मिलाक के।।
386 पानी बीच बताशा संतो।।
217 पानी में मीन प्यासी।।
         पाया अमरापुर में वास।।
653 पाया निज नाम हेली।।
 20 पाया है अब पाया है म्हारे सतगुरु भेद बताया है।।
 69 पी पी मत ना बोल पपीहा रे।।
526 पिंजरा तोड़ चला जाएगा।।२८
529 पिंजरे की मैना बोल।।
529 पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द।।
646 पिया के फिक्र में भाई मै दीवानी।।
           पिया चलो नगरिया हमारी रे।।
640 पिया पाया हेली तेरा।।
644 पिया मिलन का योग है।।
         पिया मिलन की लगन सजन बिन कौन मिलावे हे 
         581 पिया मिलन के काज आज जोगन।। 176।।
          पिला दे प्रेम का प्याला।। 87।।
172 पी ले न भाई पी ले न।।
173 पी ले पी ले रे मना।।
134 पी ले नाम का प्याला चाहना अग्नि बंद पड़े।।
176 पीले प्याला हो मतवाला।।
647 पीव मिलन का मौका भला।।
508 पीहर में दाग लगा आई चुनरी।।
661 पूर्ण गढ़ चल भाई।।
379 पैदा सो ना पद जगत में।।
587 फकीरा कैसी सस्ती फकीरी पाई।।                  30
587 फकीरा बिन धूनी तपता।।
585 फकीरी में मजा जिसको 94।।
591 फकीरी मेरी आप निभाओगे।।
587 फकीरी सदा अखंड निजी मूल।।
636 फीका लागे रे सिपाही सरदार।।
        113 फिर तुम कब सुमरोगे नाम।।
           678 बक्सों जी थारी याद याद बिना।।
        बचाईयो बाबा कुत्तिया वैर पड़ी।।
458 बताद मोक्ष का मार्ग।।
411 बदल जा ओ मनवा।।
525 बंगला अजब दिया करतार।।
524 बंगला अजब बनाया खूब।।
524 बंगला भला बना दरवेश।।२९
162 बनज कैसे किया रे मेरे लालों के व्यापारी।।
162 बंजारन अखियां खोल टांडा तेरा किधर चला।।
585 बंदी छोड़ छुड़ाले।।
538 बंदे सलम की गाड़ी।।
304 बंदे चलेगा तेरा कोई ना बहाना।।
              बंदे बंदगी मत छोड़।।
262 बंदे बीती उमरिया या छोटे की नगरिया।।
102 बंदे रट ईश्वर की माला।।
349 बंदे सोच समझकर चाल गलती में।।
326 बंदे हरि का गुण नहीं गाया।।
   9  19 बंदे सतगुरु सतगुरु बोल तेरा क्या..
         98 बंदे हरि का गुण नहीं गया।।
299 बंधन काटीयो मुरारी मेरे यम के।।
          195 बना है तू पुतला मोह जाल का।।           31
322 बरज रही मैं इन विषयों से।। 27।।
 20 बरसेगा बरसेगा तुम करो गुरु से प्यार..
           बरसे नूर लहरिया संतो।।
426 बसा हुआ भगवान सबके मन मंदिर में।।
519 बहना वृथा जन्म गवाया।।
550 बहुत दूर वह घर है साधु।।
 61 बाजा बाजा री मा अनहद तूरा।।
304 बाजा अंत समय का बाजा।।
221 बाण मेरे मारा है।।
220 बाण हरी का लाग्या है।।
411 बाना बदलो सौ सौ बार।।
          583 बादल झूक आया मेरा भीगा।।
583 बादल झूक आया मेरी भीग रही काया।।
183 बाबा भाग बिलैया झपटी।।३०
436 बार-बार तने में समझाऊं समझ मेरे मन।।
325 बार-बार नहीं आवे जन्म तेरा।।
 67 बाहर ढूंढने जा मत सजनी।। 31।।
483 बिचाले बैठ लेना है।।
601 बिन रमझ समझ नहीं पावे रे।।
459 बिन सतगुरु के भजन बिना तेरी मुक्ति ना होती।।
124 बिन सत्संग के मेरे नहीं दिल को करारी है।।
648 बिन सतगुरु पावे नहीं जन्म।।
            बिना बैराग कहो ज्ञान किस काम का।। 
          बीजों खेत निराला अवधूत।।
342 बीत गई सो बात गई।।
174 बूटी गुरु ने पिलाई मेनू होश ना रही।।
108 बुडली सुमिरन करले पड़े भजन में सिर।।           32
291 बुढापा तेरी कोई ना पूछेगा बात।।
 58 बे देहीया चेतन चोर मेरा मन मोह लिया रे।।
144 वेरी तेरा कोई नहीं है।।
550 फोन कहां घर तेरा अरे पगले।।
616 बोलता नजर नहीं आया साधु।।
533 बोल सुआ राम राम।।
464 भक्तवत्सल भक्तन सुखदाई।।
464 भक्ति कर सतगुरु की बंदे।।
463 भक्ति करो निज तत्व की।।
462 भक्ति का मार्ग झीना रे।।
552 462 भक्ति के घर दूर बावले।।
462 भक्ति दान गुरु दीजिए।।
94 462 भक्ति भजन फिर करना पहले।।
          312 भक्तों वश भगवान कहे।।
548 भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना।।
 42 91 भजन कर राम दुहाई रे।।
548 भजन करले बीती जाए घड़ी।।
 92 भजन करो भाई रे ऐसा तन।।
 95 भजन के बिना रे बंदे तेरे बेल है लदनिया।।
297 भजन गढ़ बांधले रे।।
 86 भजन बंद की कर सतगुरु की।।
 86 भजन बंदगी कर सतगुरु की दो।।
 86 भजन बंदगी कर सतगुरु की 3।।
 32 भजन बिना कोई ना जागे रे..
 32 भजन बिना फिरें जा लाख चौरासी..
403 भजन बिन बने खवारी रे।।
  35 भजन बिन भवजल कौन तरें।। 256।।            33
460 भजन बिना रे तेरी कैसे होगी मुक्ति।।
  35 भजन बिना व्यर्थ जन्म गयो।। 256।।
  31 भजन बिना व्यर्थ ही उठ बड़े..
461 भजन में रस ही रस आवे।।
 92 भज ले राधास्वामी तेरे काम आएगा।।
332 भज ले हरी का नाम तोते।।
            41 भज ले हरी को 1 दिन तो है जाना।।
662 भज हंसा हरी नाम जगत में।।
374 भटकता क्यों फिरे वन वन।।
230 भतेरा सो लिया रे।।
               भरमत डोले पट ना खोलें।।
341 भरा छल रग रग में तेरे बंदे।।
547 भरोसे थारे चाले रे सतगुरु मारी नाव।।
 15 भला ही दिन उगया..३२
304 भाई अंत समय में कामना आवे।।
   5 भाई कर गुरुओं से प्यार..
 95 भाई तू राम नाम चित धरता।।
153 भाई तू श्याना कौन है गेर लिया तने टोटा।।
398 भाई तेरा कोई ना अपना से।।
137 भाई तेरा चोला रतन अमोला।।
348 भाई तेरी में रल जागी रेत में।।
528 भाई पिंजरे के पंछी रे।।
416 भाई मैं नित कहूं समझाए।।
554 भाई रे यो ना तेरा मकान।।
636 भाई रे ज्ञान बिना पच मरता।।
119 भाई सत्संग हो रहा सच्चे गुरु के दरबार।।
108 भाई साधन कर ले पड़े भजन में सीर।।          34
          118 भाग बड़े सत्संत पधारे।।
          576 भाग रे भाग फकीर के बाल का।।
120 भाग्यवान घर हो गए संतों का सत्संग।।
120 भागवान घर होवे सतगुरु के दर्शन।।
625 भूल गई रास्ता में तो भूली रे ठिकाना।।
482 भूल भरम का सुरता तेरे भरोसा है।।
551 भूला लोग कहे घर मेरा।।
418 भूले मन समझ के लाद लदनिया।।
292 भोली बुड़िया के आय लनिहार।।
293 भोली बुढ़िया हे क्यों ना।।
122 516 म्हारी आओ बहन सत्संग में।।
501 म्हारी सूरत सुहागिन जागी री।।
352 म्हारे अवगुण भरे हैं शरीर।।
352 म्हारे अवगुण भरे हैं शरीर।।३३
352 म्हारे अवगुण भरा शरीर।।
136 म्हारे गुरु ने की है बताएं।।
514 म्हारे गुरुवा राम रस भीनी।।
221 म्हारे प्रेम बिरह है के बाण
78 म्हारे प्रेम संदेश गुरु आई।।
 71 म्हारे सतगुरु दीन दयाल है सख।।
654 म्हारे सतगुरु दे रहे हेल्ला रे सतनाम सुमर।।
221 म्हारे सतगुरु ने मारा से बाण।।
631 म्हारे साथ हो भाई सुनो जी बात अगम की।।
139 मृगा नाभि में कस्तूरी।।
110 मत अवसर खोवे हे।।
355 मत प्रेम करो इस काया से।।
158 मत बांधो गठरिया अपजस की।।                   35
345 मत बीज विघ्न के बॉबे।।
             मत बुरे करम कर बंदे वरना पछताएगा।।
337 मत बोवे बदी के बीज।।
             मत मारे हे बंजारन।।
381 मतलब का संसार पगले मतलब का।।
382 मतलब का संसार होंस कर चलिए।।
673 मत लूटे हंस रास्ते में।।
665 मत लूटे हंस रास्ते में २।।
54 मतवाली मीरा सत्संग करती डोले।।
276 मत रोके काल हरामि।।
243 मत सोना मुसाफिर नींद भरी।। 259।।
619 मथुरा जाऊं ना में काशी हम बेगमपुर।।
413 मन ऐसा ब्याह करवा दे।।
438 मन क्यों भूला रहा है दुनिया की मौज में।। 108।।
425 मन करले साहिब से प्रीत।।
414 मन कहां लगा दिया रे।।३४
 73 मन का मरन लगा परिवार।।
              मन का मरन लगा परिवार।।
427 मन का मैल ना धोवे।।
417 मन की जो फेरे माला।।
423 मन की तरंग मार लो।।
438 मन की बात ना मानो साधु।।
416 मनु को डांट ले गुरु वचन पर।।
417 मन खोज ले मिले अविनाशी।।
426 मन तू माने ना तने मेरी मति मारी।।
          मन पकड़े शो सुरा सूरत से।
418 मन परदेसी रे यहां ना तेरा देश।।
284 मन भाती हैं मन भाती है 283।।
418 मन मेरा हो होचल परम फकीर।।
412 मनवा तू किसका सरदार।।                         36
412 मनवा बना मदारी रे।।
410 मन रे क्यों भूला मेरे भाई।।
605 मंगते फिर हजार साधु जन कोई कोई।।
 51 मंदिर जाती मीरा ने सांवरिया मिल गया रे।।
            मंदिर मंदिर जाकर प्राण ढूंढ रहा इंसान।।
438 मन क्यों भूला रहा दुनिया की मौज में।।
581 मन की जो फेरे माला योगी जन वही।।
438 मन की बात न मानो साधु।।
415 मन को लगाए पिया पावे रे साधु।।
408 मन तेरी चाल समझ ना आई।।
526 मन तोते तेरी बंद छूट गई।।
431 मन ना रंगाए रंगाए जोगी कपड़ा।।
409 मन नेकी करले 2 दिन का मेहमान।।
437 मन पकड़े सो सुरा।।
415 मन भजन करे जा भुला क्यों।।
         मन भोला जाने गुजर गई रे गुजरान।।३५
422 मन्मुख मान चाहे मत मान।।
229 मन मूर्ख अखियां खोल।।
432 मन में सोच विचार बुलबुला पानी का।।
415 मन रहना होशियार 1 दिन चोर।।
419 मन मगन हुआ अब क्या गावे।।
419 मन मगन हुआ अब क्या डोले।।
422 मन रे अबकी बार संभालो।।
586 मन लाले राम फकीरी में।।
432 मन लोभी तुम तो लूट गया रे संसार में।।
405 मनवा उल्टी तेरी रीत।। 163।।
322 मनवा रे तज विषयों को संग।। 290।।               37
420 मनवा रे राम भजन 289।।
408 मनवा लागे मेरा राम फकीरी में।।
439 मनवा सोच समझ के देख ले नश्वर सब संसार।164।।
292 मने अब के बचाले मेरी मां।।
 53 मने गुरु मिले रविदास सासरे में ना जाएंगी।।
140 मने पाया नगीना सतगुरु मिल गया पूरा।।
           445 मने लगन लगी गुरु पावन की।।
506 मने लागे या चुनरिया प्यारी।।
472 मने सुनी शब्द की लहरी।।
195 ममता तू न गई मेरे मन से।।
625 मरहम होई सो जाने भाई साधो।।
546 मल्लाह के मेरी नाव किनारे।।
  82 मस्ताना मस्ताना कोई जल पावे।।
502 महीन से उतरी है।।
  59 माई री मैने लियो गोविंदा मोल।।
361 माटी के पुतले तूने काहे को।।
342 माटी में मिले माटी।।३६
350 मान जा ओ भूले राही।।
423 मानत नहीं मन मेंरे रे साधु भाई।।
156 मान रे मन मान 156।।
            342 मानव किस का अभिमान करें।।
310 मानस बन के आया जग में।।
189 माया को मजूर बंदो।।
527 मायाजाल ने मोह लिया रे पिंजरे वाला तोता।।
185 माया महा ठगनी हम जाने।।
192 माया मोहिनी रूप धरे।।
381 मायावी संसार झमेला।।                              38
187 माया हे रंग बादली।।
   3 मारे गुरु के चरण की धूल मस्तक लग रही..
          मारो मारो रे कुत्तिया के साधु तीर की।।
383 मालिक मेरा राजी है।।
637 मिलता ना आत्मज्ञान गुरु के बिना।।
 24 मिलते नहीं है भगवान गुरु के बिना..
649 मिल बिछड़न की पीर।।
147 मित्र तेरा कोई नहीं संगियन में।।
 57 मीरा जोगन बन गई रे, श्याम तेरी मस्ती में..
           61 मीरा तेरी हो गई उमर जवान।।
 58 मीरा दीवानी हो गई रे मीरा मस्तानी।।
 57 मीरा बैरागन हो गई रे बाली उमर में।।
149 मुकदमा हो गया रे तुम कर लो एक वकील।।
434 मुखड़ा क्या देखे दर्पण में।।
343 मुखड़ा क्या देखे दर्पण में।।
 19 मुझ पर दया करो महाराज चरण में थारे..
394 मुझे क्या काम दुनिया से बिरहा में।। 88
396 मुझे मिल गया मन का मीत।।३७
102 मुझे है काम ईश्वर से।। 89।।
         388 मुट्ठी भीच जगत में आया।।
533 मुनिया पिंजरे वाली तेरा सतगुरु है व्यापारी।।
244 मुसाफिर क्या सोवे अब जाग।। 256।।
396 मुसाफिर चले जाना चले जाना रे।। 262।।
237 मुसाफिर जागते रहना नगर में।। 93।।
234 मुसाफिर सोवे क्यों पांव पसार।।
         606 मूल भेद कुछ न्यारा कोई जाने संतों का प्यारा।।
376 मेरा किया भरम सब दूर।।                               39
   8 मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे.    
413 मेरा तेर मनवा भाई।।
 60 मेरा दर्द ना जाने कोई।।
569 मेरा नाम कबीरा रे साधु भाई।।
413 मेरा मन बाणीया जी।।
425 मेरा मन बैरागी हुवा री मेरी मां।।
409 मेरा मन मूर्ख भाई गुरु बिन।।
433 मेरा मन शुक्रम कर ले रे।।
100 मेरा रह गया राम मिटा रगड़ा।।
168 मेरा सतगुरु वैद्य सयाना।।
556 मेरा साहब कब घर आवे।।
380 मेरा सुनले वचन नर हितकारी।।
139 मेरा हीरा खो गया कचरे में।।
 52 मेरा हुआ गुरु से प्यार बधाई बाटूंगी।।
 23 मेरी गुरुओं के बिना लागे ना अखियां..
507 मेरी चुनरी के लगा दाग पिया।।
406 मेरी तेरी करके खो दी उम्र सारी रे।।
407 मेरी तेरी करके खो गई उम्र सारी रे।। दो।।३८
264 मेरी तेरी करते-करते बीती रे उमरिया।।
400 मेरी धुन गगन में लगी।।
140 मेरी नजर में मोती आया है।।
478 मेरी प्यारी सुरतिया है।।
 54 मेरी वृंदावन ससुराल।।
 63 मेरी बात समझ में आई हे सखी।।
482 मेरी सूरत गगन में जाए रही।। 172।।
485 मेरी सूरत बावली है।।
          479 मेरी सुरता प्यारी शब्द डोर चल जा।।        40
479 मेरी सूरत भजन में लगी।।
490 मेरी सूरत सुहागिन चाल जड़े।।
502 मेरे दिल का धोखा धोले है।।
405 मेरे पूरे गुरु ने पकड़ लिया मन मेरा।।
            424 मेरे पूरे गुरु ने मोह लिया मनवा मेरा।।
 12 मेरे बिछड़ गए दिलदार..
428 मेरे मन अब तो संभल के चाल।। २५७.
438 मेरे मन अब तो सुमर हरि नाम।।
438 मेरे मन अब तो सुमर हरि नाम।।
103 मेरे मन बस गयो रे।।
 80 मेरे मन बस गयो रे सुंदर सदन।।
 74 मेरे मालिक बिना दर्द कलेजे होय।।
121 मेरे मिट गए सभी विकार मने यह फल पाया।।
220 मेरे लग गए बाण सुरंगी हो।।
638 मेरे सच्चे गुरु ने ज्ञान की भांग।।
 63 318 मेरे सतगुरु काट जंजीर जीवड़ा।।
 53 604 मेरे सतगुरु चेतन चोर।।
220 मेरे सतगुरु ने दे दिया मौका।।३९
 21 मेरे सतगुरु पकड़ी बांह..
506 मेरे सतगुरु है रंगरेज।।
633 मेरे साथ हो भाई पारख में निजी ज्ञान।।
 60 मेरे सिर पर मटकी पाप की।।
667 मेरे हंसा परदेसी।।
673 मेरे हंसा भाई क्यों होता है आतम ज्ञान।।
657 मेरे हनसा भाई सब जग भुला पाया।।
580 मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंधा।।
377 मै काले ने खा ली।।                                41
546 मैं कैसे उतरु पार।।
624 मैं चली पिया के देश लगन साहब से लाई है।।
624 मैं जाऊंगा गुरु के देश फिर नहीं आऊंगा।।
113 मैं तो इस विधि सुमिरन कीन्हा।।
624 मैं तो जाऊंगी पिया के देश पीहर में बहुत रही।।
 68 मैं तो ढूंढत डोलू हे सतगुरु प्यारे की नगरिया।।
 97 मैं तो प्रभु तुम चरणों का दास।। 257।।
307 मैं तो माड़ी हो गई राम।।
308 मैं तो हार गई मेरे राम।।
612 मैं तो रमता जोगी राम।। 166।।
   4 मैं थारी चरण का दास सतगुरु मेरे आप धनी..
 63 मैं थारी रंग राशि हो मीरा।।
125 मैं दर्शन की प्यासी गुरुजी।।
626 मैं देखूं थारी नगरी अजब योगीराज।।
 74 568 मैं ना लड़ी मेरा पिया डिगर गया जी।।
339 मैं नित कहूं समझाएं छोड़ दे मेरी मेरा रे।।
217 मैं प्याज का पपिया हू।।
          138 मैं पापन रही होती।।
576 मैं पारस चेतन आप हूं।।
593 मैं रमता जोगी राम।।
515 मैली चादर ओढ़ के कैसे।।
122 मैं सत्संग के मा जाएगी।।
   5 मोको कहां ढूंढे बंदे..
138 मोतिया बरसे रे साधु म्हारे देश दिन रात।।
194 मोह माया ने छोड़ क्रोध ने तज रे।।
194 मोह माया की नगरी को छोड़ कर।।
           मोहे ऐसा सतगुरु भावे आत्मज्ञान रहे मतवाला।।42
639 मोहे दीजो ज्ञान अपार।।
439 444 मोहे लगन लगी गुरु पावन की।।
 32 यतन बिना मृगा ने खेत उजाडा।।
298 यमराज कहे दंड धारी।।
295 यम से बचना चाहै कर सतगुरु से प्यार।।
244 यहां जम की उड़े हंकवाई।।
357 यहां से चला गया कोतवाल।।
310 या कर्मों की रेखा टाली नाही टले।।
355 या काया कुटिया निराली जमाने भर से।।
514 या चादर पुरानी।।
394 या दुनिया ऊत कसूत।।
375 या दुनिया भरम ने खाई रे।।
562 या धुन गगन में लगी।।
361 या नर देही बंदे फिर ना मिलेगी।।
538 या प्रेम की गाड़ी आए गई।।
463 या माया उपजे बेशुमार।।
200 या माया कमा कमा धर ली।।
197 या माया जोर जमावे र।।४१
 61 या मीरा याद करे दिन-रात।।
617 या विधि मारो गोता साधु।।
195 ये कैसी अद्भुत माया।।
391 ये जगत सराय भटियारी की।।
211 ये जग ताशों का खेल।।
166 ये जग रोगिया रे।
385 ये जग है एक मेला तेरा जागा हंस अकेला।।
386 ये जग है एक मेला यहां से एक दिन ।।
334 ये जिंदगी एक किराए का घर है।।              43
334 ये जिंदगी धोखा दे जाएगी।।
353 ये तन बालू कैसा डेरा।।
428 548 ये तरने का घाट भूले मनवा।।
265 ये दुनिया जाए कयाम नहीं।
394 ये दुनिया नहीं जागीर किसी की।
369 ये दुनिया भूल भरमानी।।
401 ये दो दिन का जीवन तेरा इस पर क्यों।।
572 ये निर्गुण की चर्चा है।।
321 ये पांच बली बलवान।।
        279 ये बीता समय अनमोल फेर नहीं आएगा।।
326 ये मनुष्य जन्म हर-बार ना मिल पाएगा।।
             ये संसार असार रे काहे प्रीत लगावे।। 300।।
377 ये संसार सराय मुसाफिर।।
         632 ये सब वाचक ज्ञान कहावे।।
368 ये सारे पाखंड फेल मचावे।।
158 ये सोदा सतभाई करो प्रभात रे।।
399 यो कितना बड़ा झमेला दुनिया भर्म का मेला।।
524 यो बंगला बना गगन के बीच।।४२
184 यो मोह माया का जाल।।
382 यो संसार पाप का बंधन।।
169 यू हे तो मैंने ले जागा।।
               रट ले हरि का नाम काया ना तो है फिर मिले
485 रट ले न नाम सुरता शब्द सार का।।
 98 रट ले हरि का नाम रे बंदे सब छोड़ दे।।
585 रमते से राम फकीर।।
568 रस की भरी एक वाणी।।
561 रस गगन गुफा में अजर झरे।।                        44
176 रस टपके अमीरस बरसे।।
350 रहना नहीं अमर शरीर।।
624 रहना नहीं देस बिराना है।।
544 रहबारी बिरा रे छाती टोरडी ने।।
544 रेबारी वीरा रे थाकी टोरडी ने।।२।।
 58 राणा जी तेरे महलों में आग लगे।।
114 राधास्वामी नाम सुमर मन मेरा।।
437 राधास्वामी२ बोल रे मना क्यों फिरता।।
 94 राम कहो आराम मिलेगा।।
 93 राम गुण गा या नहीं आय कर के।।
 38 राम तेरी रचना अचरज भरी 35।।
 93 राम नाम का सुमिरन करले आगे आडू।।
680 राम नाम की मौज गुरु से पाइए।।
 90 राम नाम पूंजी पल्ले बांधों रे मना।।
278 राम नाम से तूने बंदे।।
         114 राम बुलावा आवे 1 दिन।।
 84 राम भजन की बरिया तेरी।।
163 राम भजो रे सुमिरन कर लो।।
263 राम रट ले रे तू प्राणी।।
           34 राम रसायन पाई जिन्होंने।।४३
263 राम सुमर राम उम्र बीत जाएगी।।
 91 राम सुमर राम तेरे काम आएगा। 241।।
419 रुक जा रे पापी मन रुक जा।।
473 रुक जा रे भाई रुक जा।।
3079 रे जोगिया यह जग है एक सपना।।
345 रे तूने बेरा कोन्या।।
296 430 रे दिल गाफिल गफलत मत कर।।              45
146 रे दीवाने बंदे कौन है तेरा साथी।।
415 रे भूले मन वृक्षों की मत ले।।
409 रे मन मान जा तन की बनेगी एक दिन माटी।।
358 420 रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा।।
406 रे मन मूर्खा भाई गुरु बिन लगेगा कौन सी गाड़ी।।
410 रेमन मूर्खा भाई गुरु बिन जागा कौन सी घाटी।।
438 रे मनवा अब तो संभल मेरे भाई।। 41।।
        रे मनवा क्यों 150।।
405 रे मनवा राजा जागा कौन सी घाटी।।
539 रेल चली रे भैया रेल चली।।
536 रेल धर्म की चलती कोई बैठो।।
230 रे संकट में साधो।।
162 रे सुन बल्धा वाले हरि ने सुमर मेरे भाई।।
664 रे हंसा भाई देश पूर्व ले जाना।।
664 रे हंसा भाई हो जाने मस्त दीवाना।।
417 रोवेगा लोभी थक जाएंगे पुरुष तेरे।।
577 रोवे नीर भरन वाली।।
224 रोवे हिरनी हे मालिक।।
440 लग्न की चोट भारी है।।
442 लग्न म्हारे लगी हो पायो निज नाम।।
441 लगन लगाए फकीर तन में लागे।।४४
442 लगन लगी थारे नाम की।।
458लगा ले प्रेम ईश्वर से अगर तु मोक्ष चाहता है।।85।। 
21 लगे रहिए प्रेमी मेरा भाई रे..
362 लाई रे तन मन धन बाजी।।
121 ला के फुर्सत दो घड़ी।।
299 लाखों सिर दे रखे अब तक।।                        46
440 लागी कहे जग सारा।।
443 लागी का मार्ग और है।।
 76 लागी थारे पाया राम।।
440 लागी रे साधु नाम की फेरी।।
121 लागे ना सत्संग प्यारा कर्मा का माडा।।
183 लाडो मेंडकी है तू तो पानी में की रानी।।
        456 लाले प्रीत गुरु से भाई प्रीतम तेरा मिल जाएगा।।
324 लिए काट जैसे बो के चला।।
324 लिए भोग जिसे करके चाल्या।।
          310 लिया दिया सब चुका दिया है।।
626 लूटा लूटा हे शहर भटियारी।।
401 लेके जग से बुराई मत जाना रे।।
17 ले गुरु का नाम बंदे..
203 ले जोड़ नाम की माया।।
434 ले परम पिता का नाम बावले।।
542 ले ले टिकट नाम की भाई।।
568 ले ले न मुजरा मेरा हो गुरुजी।।
168 ले लो रे नाम दवाई।।
415 वश में कर ले मन शैतान को।।
113 वह सुमिरन एक नारा रे साधु भाई।।
232 वह घर जाइए हे निद्रा।।४५
          वा घर कभी ना जाना रे।।
427 वा दिन की कुछ शुद्ध कर मनवा।।
321 विषयों में फंस कर बंदे।।
545 वे नर हुए नदी के पार।।
170 वैद मरहम आ गया हे।।
551 वो घर सबसे न्यारा।।                         47
419 वो बेगमपुर कैसा है।।
583 शाम में बादल देख डरी।।
474 शब्द चढ़ देखो रे भाई।।
640 शब्द झड़ लाग्या हे।।
465 शब्द तलवार है भाई साधु।।
466 शब्द तलवार है भाई साधो।।२।।
465 शब्द तेरा दर्द अनूठा रे।।
466 शब्द तेरी सार कोई कोई जाने।।
473 शब्द धुन सुन ले रे भाई।।
466 शब्द बनी तलवार गुरु के सत्संग में।।
468 शब्द मत छोड़ो रे।।
468 शब्द रे तेरी बिरले ने परख करी।।
471 शब्द हमारा सत्य है।।
627 शिखर में देश हमारा है।।
309 शुभ कर्म कर सुख मिलेगा।।
534 स्वास का पंछी डोले रे।।
669 सकल हंस में राम तुम्हारा।।
 66 सखी री पड़ी अंधे के कूप।।
 63 सखी री मारे जागै पुरबले बाग।।
 70 सखी री मेक अ सतगुरु का बेस ।।
291 सखी री मैं दे दूं झुकते तो ल।।४६
 69 सखी है रही पीहर में घूम।।
509 सजन घर कैसे जाऊं है।।
454 सजन यह प्रेम की घाटी।।
 66 सजनी घट के पर्दे खोल।।
506 सत्य के धनी हो मेरी रंग दे चुनरिया।।
573 सत्य के शब्द से।।                            48
112 सत्य नाम का सुमिरन करले।। 
575 सतगुरु कबीर की वाणी।।
622 सतगुरु का देश निराला मैंने देखा जाके।।
  34 सतगुरु के बिना कटते ना कर्म क्लेश..
  30 सतगुरु के बिना कोई रास्ता खोले।।
  30 सतगुरु के बिना कौन है तेरा साथी..
  31 सतगुरु के बिना भरम मिटा देना कोई..
  30 सतगुरु के बिना मार्ग कौन बतावे..
  31 सतगुरु के बिना राह ना पावे कोई..
141 सतगुरु खोजो री प्यारी जगत में दुर्लभ रतन।।
  27 सतगुरु जी महाराज मो पर साई रंग डाला..
  65 सतगुरु तुमसे कह रही हूं मैं।।
           सतगुरु तेरा कर ले बेरा।।
  23 सतगुरु तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए..
458 सतगुरु तेरे घट में बैठा क्यों भटकता बाहर फिरे।।
126 सतगुरु दर्शन दो चित् चोर।।
654 सतगुरु ने बो दिया हिला रे।।
219 सतगुरु ने मारा तीर री।।
637 सतगुरु पूर्ण ज्ञान तुम्हारा।।
309 सतगुरु पूरा जो मिले मिटे करम का लेखा।।
636 सतगुरु बांटे है पुड़िया ज्ञान की।।
 27 373 सत गुरु बिन घोर अंधेरा सब भरम मिटा बे तेरा।
633 सतगुरु म्हारे ने दिनहीं है ज्ञान जड़ी।।
605 सतगुरु ब्रह्म लखाया साधु।।
655 सतगुरु मिलने चलो हेली।।
445 सतगुरु मिले म्हारे सब दुख मिट गए।।
573 सतगुरु मेरा मरहमी।।                                49
 15 सतगुरु मैं तेरी पतंग..।।
549 सतनाम को छोड़कर बंदे हो लीया धारमधार।।
681 सतगुरु शरण में आए राम गुण गाए रे।।
 16 सतनाम सतनाम सतनाम बोल..
117 सत्संग करते बहुत दिन बीते।।
119 सत्संग करने से बहुत घने हुए कर।।
       492 सत्संग के में चलिए सुरता।।
        116 सत्संग गंग की धार में मलमल नहाई है।।
117 सत्संग गंगा की धार में कोई।।
123 सत्संगति जग सार साधु।। 271।।
124 सत्संगति एक अमर जड़ी है।।
118 सत्संग नाम की गंगा है।।
118 सत्संग में आ के पापी पार हो जाते।।
491 सत्संग में सूरता चाल तू अपनी।।
121 सत्संग वो गंगा है इसमें जो नहाते हैं।।
119 सत्संग सा तीरथ कोई नहीं।।
644 सदा रहूंगी सत्संग में।।
191 संग चले सोई धन है साधु।।
108 संगत कर ले गुरुदेव की।।
617 संगत तो कर ले साध की।।
205 संग ना तेरे माल खजाना जाएगा।।
683 संत सेन को समझ।।४८
597 संतों का देश निराला है क्या जाने।।
598 संतों का देश निराला है बिन ज्योति के।।
599 संतों की शरण में आजा।।
599 संतों के आगे कौन चीज बादशाही।।
600 संतन के संग लाग रे।।                            50
237 संतो जागत नींद ना कीजिए।।
598 संतो देखत जग बौराना।।
596 संतो सहज समाधि भली।।
603 सतगुरु अलख लगाया जिसमें अपना।।
        सतसंगत जग सारा साधु।। 271।।
602 संतो घर में झगड़ा बाहरी।।
603 संत सतगुरु अलख लखाया। परम प्रकाश।।
606 संतो सो सतगुरु मोहे भावे सत्यनाम का भर प्याला।।
294 संदेशा आ गया यम का।। १५
586 संदेशा संत फकीरों का तुम याद।।
429 सफ़ा ना देख दिल का।।
263 सब उम्र बीत गई धोखे में।।
303 सब खड़े देखते रह जाएंगे।।
310 सब खेल है कर्मों के कहां रावण कहां विभीषण।।
375 सब जग भूल भरम में जाए।।
232 सब दिन धंधे में खोया।।
                     सबर बड़ा हथियार रखेगा कोई सूरमा।।
171 सब रोगों की एक दवाई।।
275 सब लिए काल ने डंस रे।।
455 सबसे ऊंची प्रेम सगाई।।
           समझ कर देख ले प्यारे मोक्ष का पंथ है नारा। 90।
555 समझ घर आजा रे।।
433 समझ मन बावला रे।।
435 समझले तेरी कौन चीज की आशा।।
684 समर्थ दीनदयाल कृपा मो पे कीजिए।।४९
422 समझ समझ गुण गाओ रे प्राणी।।
154 समाज सौदा कर चलो रे तेरा जन्म।।
 82 समर्थ साहेब दया करो गुरु मेरा।।                      51
671 सरगुन मरण जीवन वाली संशय।।
231 साईं के नाम बिना नहीं निस्तार।।
616 साधु अवगत लिखो ना जाए।।
614 साधु एक आप जग माही।।
274 साधु काल ने जाल फैलाया।।
570 साधु कीड़ी ने हाथी जाया।।
614 साधु चुप का है निस्तारा।।
615 साधु भजो नाम अविनाशी।।
558 साधु भाई गगन घटा झुकाया।।
156 साधो भाई सतगुरु है व्यापारी।।
591 साधु यह तन ठाट तंबूरे का।।
615 साधु वह जानो मन पर जो काबू पा ले।।
471 साधु शब्द साधना कीजिए।।
615 साधु सुर नर मुनि भरमावे।।
130 साधो हम अमली निज नाम के।।
613 साधो ये मुर्दों का देश।।
429 साफ कर दिल के शीशे को।।
305 सामान सो वर्ष का।।
298 सामान् सो वर्ष का।।
166 सारा जग रोगिया रे।।
308 सारी उम्र गई धंधे में।।
   2 सारे तीरथ धाम आपके चरणों में।।
             सासरे में कोन्या रहूं भतार।।
307 सासु जी ताना मारे।।५०
574 साहेब कबीर आजा।।
311 साहिब तेरा भेद ना जाने कोई रे।।
509 साहेब पूछेंगे चुनरिया तेरी कैसे बिगड़ी।।           52
            311 साहब साहेब सब कहे।।
327 सीखा करो भाई गम खाने की बात।।
 80 सुख के सागर प्यारे हमारी सुध लीजिए।।
667 सुख सागर में आए के मत जाए प्यासा।।
556 सुध बुध भूल गया उस घर की।।
534 सुन गंगाराम पिंजरा पुराना।।
484 सुन म्हारी सूरता गुरु के वचन अनमोल।।
           सुन लो चतुर सुजान नुगरे ना रहना।।
542 सुन्न शिखर में जहाज पिया का।।
682 सुन सतगुरु की तान।।
501 सुन सुरत मछलियां है।।
475 सुन सूरत सियानी है।।
659 सुन हंसा भाई हंस गति में होना।।
658 सुन हंसा भाई हंस रूप था जब तू आया।।
634 सुनाऊं तने ब्रह्म ज्ञान को लटको।।
634 सुना था हमने गुरु अपने का ज्ञान।।
436 सुनिए मन चंचल रे।।
545 सुमर सुमर नर उत्तर ऊपर।।
493 सूरत अपने घर चलो है।।
486 सूरत तू कौन कहां से आई।।
496 सूरत तू मन से यारी तोड़।।
476 सूरत निज नाम से अटकी है।।
         488 सूरता प्यारी तू देश दीवाने चाल।।
         511 सूरता पी ले न शब्द की शाही शराब।।
476 सूरत बंजारन प्यारी हो।।५१
485 सूरत मेरी साहब से राजी।।
479 सूरत सुहागिन गुण भरी।।
478 सूरत सुहागन नार तू सत्संग में।।                    53
         481 सूरत सुहागन नार हे उठ लाग भजन में।।
477 सूरत सुहागिन सुन मेरी प्यारी अगम।।
500 सूरत सुहागन हे बड़ भागिन ।।
499 सुरता तेरा तेरे बिना।।
499 सूरता प्यारी चाल जड़े सतगुरु का देश।।
498 सूरता भूल भरम दे त्याग।।
476 सुरता हिल्की दे दे रोवेगी।।
       486 सूरता होले न भजन वाली लार।।
483 सुरता होले शब्द की गेल।।
498 सुरतिया झूल रही।।
             सुल्ताना बलख बुखारे दा।।
 73 सुहागन में तो हो गई।।
428 सेवा करले गुरु की भूले मनवा।।
554 से कितने दिन का डेरा।।
        सै जीभ जुल्म का जोर सतगुरु बतलावें।।
 55 सैंया जी में लूट ली वैराग ने।।
339 सोचन कौन है तेरा।।
278 सोच समझ के चाल रे कॉल तुझे खाएगा।।
398 सोचो जरा तुम करो विचार।।
242 सोता क्यों है जाग मुसाफिर।।
156 सौदा कर चल रे भाई।।
151 सौदा करे सो जाने रे।।
229 सोने वाले जाग जरा संसार मुसाफिर खाना है।।
241 सोने वाले जाग रे तेरी गाट कटे से।।
          612 सोहम सोहम बोलो साधु।।
              सोहम सोहम सदा बोल री मैंना।। 66।।
531 सोहम सोहम सदा बोल रे तोता।। 65।।
157 हटड़ी छोड़ चला बंजारा।।
658 हनसा कहां से आया रे।।                             54
664 हंसा कोन लोक के वासी।।
662 हनसा चाल बसो उस देश जहां के वासी।।
658 हंसा निकल गया पिंजरे से।।
660 हंसा परम गुरु जी के देश चलो जहां अमर।।
665 हंसा यह पिंजरा नहीं तेरा।।
659 हंसा हंस मिले सुख हुई।।
668 हंसों का एक देश है वहां जाए ना कोई।।
597 हम उन संतो के दास।।
304 हम को उढावें चादरिया।।
385 हम घूमने आए जी दुनिया की करने से।।
   8 हमने गुरुजी मिलन को घनो चाव।।
621 हमने देखा अजब नजारा।।
529 हम पंछी परदेसी मुसाफिर।।
622 हम परदेसी लोग फिर नहीं आएंगे।।
360 हम बसे चाम के धाम।।
152 हम सत्यनाम व्यापारी।।
154 हम से कौन बड़ा परिवारी।।
662 हम हंसा उस देश के जहां मानक।।
622 591 हम हैं मस्त दीवाने लोग।।
151 हम हैं सत्य नाम व्यापारी।।
144 हमारा कोई मीत ना बैरी।।
   8 हमारा दाता अपने ही उर में पाया जी..
404 हमारा पंथ है बांका।।
519 हमें कोई कातन दे सिखाएं।।
 75 ह्रदय बीच हरी है साधो।।५३
651 हरदम पृभी नहा म्हारी हेली।।
371 हरदम याद करो सतगुरु में।।                       55
101 हर में हरी को देखा।।
 89 हरिओम के भजन बिना तुम क्यों कर।।
296 हरि के घर से आए बुलावा।।
630 हरि के बिना रे साधु सूना पड़ा वह देश।।
 88 हरि के भजन कर ले रे।।
592 हरिजन होते हर के कलेजे की कोर।।
  97 हरि तेरो अजब निरालो काम।।
128 हरी दर्शन की मैं प्यासी रे।। 253।।
  39 हरी नाम का सुमिरन करले।।
  97 हरि नाम सुमर मन मेरा।।
331 हरि नाम सुमिर सुखधाम जगत में।।
  79 हरी प्रीतम से प्रीत लगा के।।
349 हरि बिना यहां कोई नहीं तेरा।।
 96 हरि भजन बिना सुख नाही रे।। 252।।
333 हरि भज ले जन्म सुधर जाएगा।।
  84 हर भज हर भज हीरा परख ले।।
176 हरि रस ऐसा रे पीए अमर हो जाए।।
175 हरि रस बूटी पीले।।
145 हरि सच्चे दिल के मीता।।
384 हरी से नेह लगा ले बाबू।।
425 हरिहर भजता नाही रे।।
 83 हरिहर भजले बारंबार।।
318 हरे राम मुख बोल।।
164 हाय हाय यह माया जोड़ी।।
584 हाल फकीरी घट के अंदर।।५४
223 हिरनी यारी ने टेरन लगी।।
407 हुआ मन गुरु भक्ति में लीन।।                         56
 72 हुई मेहर गुरु की मरण लगा परिवार।।
365 हुई रंग महल में चोरी।।
        497 हे क्यों ना सतगुरु ने रटती।।
611 हे जी हे जी साधु कैसे यह विश्व बनाया।।
471 हे जी हे जी साधु सार शब्द हम पाया।।
652 हे तने मानसरोवर जाना है।।
185 हे तु पांच ठगों ने ने ठग ली।।
477 हे तु सतगुरु साबुन लाए।।
478 हे तु होले सुरता त्यार।।
186 हे माया ठगनी है तूने लूट लिया जग सारा।।
480 हे री मेरे पांच लगे लगवाल।।
480 हे री मेरे हरि मिलन की लगन।।
480 हे री मेरे हरी मिलन की लगन।।२।।
             हे री सखी चल।। 115।।
185 हेरि हेरी ठगनी यो कैसा खेल रचाया।।
162 हे बंजारन तेरा छोड़ चला बंजारा।।
312 हे भगवान तेरी माया का।।
312 हे भगवान पता ना पाता।।
 61 हे मीरा हम हो जाएंगे बदनाम।।
488 हे मेरी सूरत सुहागन नार नींद में सोवे मत ना।।
233 हे मैं नींद भरम की सोऊं।।
652 हेली छोड़ दे वीराना देश।।
645 हेली तू कोन कहां से आई।।
            हेली मान सत्य वचन मेरा री।।
653 हेली हमने नींद ना आवे हे।।
648 हेली हमने नींद ना आवे हे ।।दो।।५५
 71 हे सखी जाना है ससुराल मोह छोड़ दिए।।            57
494 हे सुरता आओ है सत्संग में हो रही देर।।
493 हे सूरता क्यों गई राम ने भूल।।
490 हे सूरता चल देख दीवाना देश।।
         495 हे सुरता चाल बसो उस देश सवारी आ गई।।
488 हे सूरता तुम करो हरी का ध्यान।।
494 हे सुरता तेरे सतगुरु दे रहे बोल।।
487 हे सूरता दिए नींद नशे में त्याग।।
494 हे सूरता यू झूठा जग का खेल।।
494 हे सूरता ले चमक चुनरी ओढ़।।
500 हे सूरता हो ले हे तैयार।।
424 है कोई मन मूरख समझावे।।
177 है कोई रसिया महल का।।
447 है तेरा तूझ माही देख ले।।
669 है संत समागम सार हंस कोई आवेगा।।
557 हो गगन मे रे अलख पुरुष अविनाशी।।
527 हो गया पिंजरा पुराना।।
539 हो जाओ तैयार गाड़ी स्टेशन पर आती है।।
345 होता क्यों ना गरीब है।।
170 हो तेरे कोन्या वश का रोग।।
379 हो मतलब में फंसा जहान।।
435 हो मन मेरे दिए छोड़ कुवैत अभिमान।।
584 होय होय के मोज फकीरा दी।।
213 होली के खेल में गुमान ना कीजे।।
       499 होले सुरता त्यार इब तूं क्यों ला रही सै वार।।
 80 हो विदेशी प्यारे मेरी अखियां।।
684 हो संतों का सत्संग वहां नित्य जाइए।।
674 हो हंसा भाई देश पूर्व ले जाना।।५६।              58
         ज्ञान दे दीना गुरुदेव ने 200।।
 31 ज्ञान बिना मनुष्य बने हैं ढोर।।                     1568


दोहा___माता मरे फल एक है, पिता मरे फल चार।
       भाई मरे तो हानि है, कहे कबीर विचार।।






हम रोज लगावें सट्टा तुम कर लो ना धन कट्टा।।
हम जुए के जवारे हम सट्टे की खिलाड़ी।।
कोई नहीं घर तेरा रे साधु भाई कोई नहीं घर तेरा।।
लग्न कर टोह लियो भाई।।
शब्द में रमे रहना लगी है राम में लो।।
सतगुरु अपने के सम्मुख रहना जग में लाज रहो ना रहो रे।।


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