*747 यहां से चला गया कोतवाल।।

यहां से चला गया कोतवाल करके काया की कोतवाली।।

छोड़ चला इस मर्म किले को, बदली हो गई और जिले को
देख चुका इस चमन किले को, अब कुछ किया तत्काल।
                              मुख से नहीं जवाब निकाली।
सरकारी चार्ज को छोड़ा, बांध लिया था लेकर घोड़ा।
टांग दिए वर्दी और बोरा, अब धरी चौक में थाल।
                            बक्से की बंद करी ताली।।
बड़े-बड़े जवान पुलिसके भाई, छोड़ गए सब संग सिपाही।
इन ने वस्तु अनमोल लुटाई, अब लुटा दिया धन माल।
                            दोनों हाथ से चला है खाली।।

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