*545 क्यों सोता पैर पसार के तेरे सिर पर मौत खड़ी है।244।

क्यों सोता पैर पसार रे तेरे सिर पर मौत खड़ी है।।

आज बात तो कहता क्या कि थोड़ा सा दिन रह गया बाकी।
कोड़ी टका पास नहीं बाकी, अब जल्दी आ पल्ला झाड़ के                               तेरी किस ने अकल हड़ी है।।
भवसागर एक अगम अपारा, कैसे नाव लगे उस पारा।
चाहे करले सोच विचारा, यहां ना केवट ना नाउ है।
                               तब बीते घड़ी-घड़ी है।।
आगे विकट मिलेगी झाड़ी, कैसे राह कटे तेरी सारी।
मत भूलना निपट अनाड़ी, तनिक रखियो पैर संभाल के।
                              गांठ क्या नशे गेल भरी है।।
कह कबीर जब मांगे लेखा, मानुष जन्म नहीं मिलने का।
करनी घटी तो यम घर देखा, तब दियो नर्क में खेल के।
                              मुझे यम के मार पड़ी है।।

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