*243 अब कैसे छूटे राम धुन लागी।। 93

अब कैसे छूटे राम धुन लागी।।
प्रभु तुम चंदन हम पानी, जा की अंग-अंग बास समानी।।
प्रभु जी तुम बादल हम मोरा, जैसे चितवन चंद चकोरा।।
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती, जा की जोत जले दिन राती।।
प्रभु जी तुम मोती हम धागा, जैसे सोने बीच सुहागा।।
प्रभुजी तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करें रविदासा।।

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