*70. कोई गावे है गुरु की महिमा सार।। 23

कोई गावे गुरु की महिमा सार।।

दया धार गुरु जग में आए, तब ही किया जीव उपकार।।
निजघर का उने भेद सुनाया, राधास्वामी धामअगम के पार।।

घर चलने की जुगत बताइ, सूरत शब्द का मार्ग सार।।
काल देश से जीव निकाला, काट दिया माया का जाल।।

कर्म भर्म से लिया बचाई, चरण शरण दई कृपा धार।।
कोटी जन्म से भटका खाया, हुआ नहीं कभी जीव उबार।।

जब सतगुरु मोहे मिले भाग से, तब ही गई भवसागर पार।।
दिन दिन शुकराना करू उनका,राधास्वामीप्यारेपतितउबार।।

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