*565 यह दुनिया जाए कयाम नहीं।। 266

यह दुनिया जाए कयाम नहीं कुछ रोज में यहां से जाना है।
क्यों माल खजाना जमा किया किस वास्ते तंबू ताना है।।

दुनिया के दामों में क्यों आया सौदाई है दीवाना है।
साफ निकल इस फंदे से यार अगर  मरदाना है।।

सतगुरु का नाम सुमर जो यह फंदा कटवाना है।
वे दीन दयाल दया करके दें सतनाम परवाना है।।

फिर सत्य धाम में जाए बसों, जो तेरा खास ठिकाना है।
वहां खूबी राम संग खेल करो, जो सब जनों का जाना है।।

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